संकल्प शक्ति। दीपावली पर्व देश की सम्पूर्ण धरती को प्रकाश के झरने से आप्यातित करके मानवसमाज को आत्मप्रकाश से प्रकाशित होने का संदेश प्रदान कर रहा था। जिस तरह दीप के प्रकाश से अमावस्या की रात का घनघोर अंधेरा समाप्त होजाता है, उसी तरह सत्य की ज्योति से मनुष्य के जीवन का अंधेरा दूर होजाता है।
दीपपर्व पर ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज की तपस्थली पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम जगह-जगह प्रज्ज्वलित दीपों की ज्योति, रंग-बिरंगी विद्युतीय झालरों व अध्यात्म के प्रकाश से जगमगा उठा था। यह तपस्थली, दीपों की ज्योति से ऐसे प्रकाशित हो रही थी, जैसे कि आकाश के सारे तारे सिद्धाश्रम की धरती पर उतर आए हों। श्री दुर्गाचालीसा अखंड पाठ मंदिर में आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की पूजा-अर्चना कर रहे ऋषिवर श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के दिव्यललाट से निकल रहीं चेतनातरंगों को आत्मसात करते हुए समस्त सिद्धाश्रमवासी व देश-देशान्तर से पहुंचे ‘माँ के भक्त आल्हादित थे।
मध्यप्रदेश के शहडोल जि़ले में ब्यौहारी अनुविभाग अन्तर्गत सिद्धाश्रम सरिता के तट पर शोभायमान अध्यात्मिकस्थली, पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में दीपोत्सव पर्व, धार्मिक मान्यता के अनुरूप शान्तिमय वातावरण में मनाया गया। सिद्धाश्रम में पर्व की पूर्व संध्या से ही नशामुक्त, मांसाहारमुक्त एवं चरित्रवान् शक्तिसाधकों का आना शुरू हो गया था। 24 अक्टूबर, दिन सोमवार, दीप पर्व की प्रात:कालीन बेला में सभी भक्तों ने नित्यप्रति की तरह मूलध्वज साधना मंदिर व श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ मंदिर में माता भगवती की दिव्य आरती का लाभ लेने के उपरान्त, सद्गुरुदेव जी महाराज के श्रीचरणों को स्पर्श करके आशीर्वाद प्राप्त किया।
प्रात:काल की तरह सायंकालीन बेला में भी भक्तों ने आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की स्तुति करने के पश्चात् सद्गुरुदेव जी महाराज के श्रीचरणों को स्पर्श करके शुभाशिर्वाद प्राप्त किया। साथ ही, पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट की प्रधान न्यासी शक्तिस्वरूपा बहन ज्योति शुक्ला जी के करकमलों से शुभलक्ष्मी के रूप में 20 रुपए की राशि तथा प्रसादरूप में मिष्ठान्न व लाई प्राप्त करके अपने भाग्य को सराहा। इस तरह सिद्धाश्रम में धार्मिक भावना से ओतप्रोत, सादगीयुक्त पवित्र अध्यात्मिक वातावरण में सुख-समृद्धि के प्रतीक दीपावली पर्व को अतीव उल्लास-उमंग के साथ मनाया गया। सिद्धाश्रम में दीपपर्व पर भक्तों ने जिस शान्तिमय अलौकिक आनन्द की अनुभूति प्राप्त की, वह अन्यत्र मिलना सम्भव नहीं है। शहरी प्रदूषण से दूर स्वच्छ व शान्तिमय वातावरण, सबके अन्दर एक-दूसरे के प्रति निष्कपट भाव और दीपमालाओं की मनमोहक रोशनी के बीच माता भगवती का गुणगान, संध्यावंदन तथा सबसे बड़ी उपलब्धि यह कि अनुपम उपहार के रूप में सुबह-शाम सच्चिदानंदस्वरूप सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त होना।
सायंकालीन बेला में मूलध्वज साधना मंदिर में रोशनी बिखेर रहे दीपों के मध्य परम पूज्य गुरुवरश्री तथा पूजनीया शक्तिमयी माता जी के द्वारा माता भगवती की पूजा-अर्चना और शक्तिस्वरूपा बहनों के हाथों से छूटती सतरंगी फुलझडिय़ां। यह मनोरम दृश्य देखकर सिद्धाश्रम में उपस्थित हज़ारों भक्त भावविभोर हो उठे। माता भगवती की पूजा-अर्चना करने के पश्चात् सद्गुरुदेव जी महाराज पूज्य दण्डी संन्यासी स्वामी श्री रामप्रसाद आश्रम जी महाराज की समाधिस्थल, दानबीर बाबा की गुफास्थल और त्रिशक्ति गोशाला गए।