लोक आस्था और सूर्योपासना का महापर्व छठ शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है।। शनिवार को खरना, रविवार को सांध्यकालीन अध्र्य और सोमवार को उगते सूर्य को अध्र्य देने के बाद व्रत करने वाले लोग पारण करेंगे।
नहाय-खाय के दिन व्रत करने वाले लोग स्नान-ध्यान के बाद अरवा चावल की भात, कद्दू की सब्जी, चने की दाल और आंवले की चटनी जैसी चीजें खाकर पवित्रता से इस व्रत की शुरुआत करेंगे। नहाय-खाय का प्रसाद पाने के लिए व्रत करने वालों के घर सोमवार को आम श्रद्धालु भी पहुंचेंगे। इसके बाद शनिवार को अरवा चावल, गुड़ और दूध से बनी खीर से व्रती खरना करेंगे और इसके बाद 36 घंटे का निराहार व्रत शुरू हो जाएगा।
सूर्यदेव की होती है पूजा
छठ, प्रकृति की पूजा है। इस मौके पर सूयदेव की पूजा भी होती है। अस्ताचलगामी देवता सूर्य की पूजा इस भाव से की जाती है कि जिस सूर्य ने दिनभर हमारी जिंदगी को रौशन किया उसके निस्तेज होने पर भी हम उनको नमन करते हैं।
छठ पूजा के मौके पर नदियां, तालाब, जलाशयों के किनारे पूजा की जाती है, जो सफाई की प्रेरणा देती है। यह पर्व नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने का प्रेरणा देता है। इस पर्व में केला, सेब, गन्ना सहित कई फलों की प्रसाद के रूप में पूजा होती है जिनसे वनस्पति की महत्ता रेखांकित होती है।
भगवान सूर्य की बहन हैं छठ देवी
सूर्योपासना का ये पर्व सूर्य षष्ठी को मनाया जाता है, लिहाजा इसे छठ कहते हैं। ये पर्व परिवार में सुख, समृद्धि और मनोवांछित फल प्रदान करने वाला माना जाता है। मान्यता है कि छठ देवी सूयदेवर्ता की बहन हैं, इसलिए लोग सूर्य की तरफ अध्र्य दिखाते हैं और छठ मैया को प्रसन्न करने के लिए सूर्य की आराधना करते हैं।
ज्योतिष में सूर्य को सभी ग्रहों का अधिपति माना गया है। सभी ग्रहों को प्रसन्न करने के बजाय अगर केवल सूर्य की ही आराधना की जाए और नियमित रूप से अध्र्य (जल चढ़ाना) दिया जाए तो कई लाभ मिल सकते हैं।