ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने तप, त्याग, परोपकार, पुरुषार्थ की तपोभूमि पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम से अपने अतिमहत्त्वपूर्ण चिन्तन के द्वारा, भूत-प्रेत व तंत्र-मंत्र का भय दिखाकर समाज के लोगों से बेतहासा धनराशि ठगने वाले गुरुशरण शर्मा पण्डोखर महाराज एवं धर्म की आड़ में आडम्बर फैलाए अन्य सभी ढोंगी-पाखंडियों को समय रहते सुधर जाने की चेतनावनी देते हुए कहा-
”इस दिव्यधाम में जहाँ माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा का हर पल गुणगान हो रहा है, जहाँ की चेतनातरंगों को आत्मसात करके लाखों लोग लाभान्वित हो रहे हैं, जहाँ मेरे शिष्य साधनात्मक जीवन जीते हुए धर्मरक्षा, राष्ट्ररक्षा और मानवता की सेवा जैसे मानवीय कत्र्तव्यों का हर पल निर्वहन कर रहे हैं, उस धाम के प्रति, मेरे प्रति, पण्डोखर धाम में गद्दीनशीन व्यक्ति ने जो अनाप-शनाप बका है, उससे मेरे शिष्यों को गहरा आघात पहुँचा है।
बचपन से ही मेरी विचारधारा एक रही है। मेरे द्वारा अपने मंचों से कहा गया है कि मैं ऋषि था, ऋषि हूँ और ऋषि रहूँगा, मैं सच्चिदानंद का अवतार हूँ। मेरे द्वारा यह कभी नहीं कहा गया कि मैं किसी देवी-देवता का अवतार हूँ। पण्डोखर, तुम्हें स्वामी सच्चिदानंद के बारे में ज्ञान ही नहीं है। मैंने दीपावली के दिन कुछ विचारधारा दी थी, लेकिन तुमने कुछ समझा नहीं और अनाप-शनाप बकते रहे। अरे, मैं तुम्हारे जैसे ढोंग-पाखंड रचने वाले, समाज का शोषण करने वालों की कलई खोलने और तड़पती, कराहती हुई मानवता की रक्षा के लिए ही बैठा हूँ।
आज समाज पूरी तरह समझ गया है कि तुम्हारे पास त्रिकालज्ञता की कोई क्षमता नहीं है और जब तुम स्वयं कहते हो कि तुम पैसे के लिए काम करते हो, तो फिर समाज के लिए क्या कर रहे हो? तुम मेरी चिन्ता मत करो, मैं मान-अपमान सहकर भी समाज के लिए कार्य करता रहूँगा, लेकिन तुममें साधनात्मक जैसी कोई चीज ही नहीं है। मेरा धैर्य इतना अडिग है कि तुम जैसे पाखंडी, मुझे क्या विचलित करेंगे? अरे, मैंने विश्वअध्यात्मजगत् को साधनात्मक तपबल की चुनौती दी है, तुम भला मेरी चुनौती का क्या सामना करोगे? एक नहीं, तुमसे व्यथित समाज के सैकड़ों लोग अपनी व्यथा बता रहे हैं कि तुमने उन्हें किस तरह से परेशान किया है!
मेरे आश्रम में जो निर्माणकार्य होते हैं, उसमें मेरे शिष्यों के द्वारा स्वेच्छा से सहयोग दिया जाता है और इस पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में कहीं किसी प्रकार का शुल्क नहीं है, न तो रुकने का कोई शुल्क है, न भोजन का, न मुझसे मिलने का कोई शुल्क है, लेकिन तुम तो लूट मचाए हुए हो! तुम कहते हो कि तुम्हारे ऊपर बजरंगबली की कृपा है और वे हर बात बताते रहते हैं। अरे, जो गाली-गलौज करे, नारी का अपमान करे, उसके ऊपर बजरंगबली की कृपा हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। बजरंगबली क्या तुम्हारे $गुलाम हैं? नहीं, वे तुम्हारे $गुलाम नहीं हैं।
गुरुशरण शर्मा याद रखना, तुम जिस तरह का जीवन जीते हो, उसके लिए समाज तुम्हें कभी मा$फ नहीं करेगा। तुम्हारे जैसे, प्रेमासाईं और बागेश्वर धाम के जैसे लोग, जो भूत-प्रेत, झाडफ़ूंक के नाम पर लूट मचाए हुए हो, ऐसे लोगों के ख़्िाला$फ ही आवाज़ उठाने के लिए भगवती मानव कल्याण संगठन का गठन हुआ है। अभी तक लोगों को लूटने में तुम इसलिए सफल रहे, क्योंकि उन्हें यह भय सता रहा था कि कहीं तुम उनके पीछे भूत-प्रेत न लगा दो। देवकीनन्दन ठाकुर का यह कहना कि ‘मेरे पीछे भूत न लगा देनाÓ इसका खूब प्रचार किया और चारोंओर भय फैला दिया गया। तुम कहते हो कि तुम्हारे यहाँ यज्ञ होता है। अरे, यज्ञ क्या होता है, तुम्हें इसका ज्ञान ही नहीं है?
मैं अपने शिष्यों को अपने हृदय में धारण करता हूँ और जैसे मेरे शिष्य हैं, वैसे शिष्य तुम आजन्म नहीं पा सकते। तुमने इतनी नीचतापूर्ण हरकत की है, जिसे कभी मा$फ नहीं किया जा सकता। तुम तप, त्याग, परोपकार, पुरुषार्थ को क्या समझोगे? मेरी बेटियों के विरुद्ध आवाज़ उठाने की कोशिश की! मेरी बेटियाँ तप, त्याग, पुरुषार्थ की जीवंत मिशाल हैं। मेरी बच्चियों ने धर्मरक्षा, राष्ट्ररक्षा और मानवता की सेवा के लिए अपने जीवन को समर्पित किया है।
तुम अपने आपको त्रिकालज्ञ कहते हो! मैं एक करोड़ का इनाम दूँगा, यदि किसी ने यह सिद्ध कर दिया कि मेरे ख़्िाला$फ कहीं पर भी मुकदमा दजऱ् है। भगवती मानव कल्याण संगठन सच्चाई, ईमानदारी का कार्य करता है और संगठन के द्वारा किसी प्रकार का भ्रमजाल नहीं फैलाया जाता, जैसा कि तुम फैलाए हुए हो। सनातनधर्म को तुम जैसे लोग ही क्षति पहुँचा रहे हैं। सनातनधर्म को जातपात, छुआछूत के नाम पर गिराते जा रहे हो और तुम जैसे लोगों ने समाज को खण्ड-खण्ड करके रख दिया है।
11 दिन में प्रमाण ले आओ, अन्यथा…
चुनौती है कि मेरे विरुद्ध जो तुमने कहा है, 11 दिन में उसका प्रमाण ले आओ, तो एक करोड़ का इनाम दूँगा या फिर 11 दिन के अन्दर मा$फी माँग लो, अन्यथा अवमानना, मानहानि व अपराधिक मु$कदमा न्यायालय में दजऱ् होगा। मेरी सत्य की आवाज़ को कोई रोक नहीं सकता। अब यह निर्णय धर्मप्रमुख करेंगे या समाज करेगा कि कालनेमि कौन है? तुम्हारे जैसे लोगों ने ही समाज में धर्म के प्रति अनास्था पैदा की है। तुम्हारी हर बात कि ‘मैं गद्दी छोड़ दूँगाÓ, तो अब तो जगह-जगह से आवाज़ें उठने लगी हैं, तो गद्दी छोड़कर दिखाओ? ढोंग-पाखंड मत फैलाओ, तुम्हारा हर कर्म, हर रिश्ता, पैसों से जुड़ा हुआ है और तुमने आज तक एक भी सच्चा शिष्य नहीं बनाया है। तुम पैसों के लालच में इतना मदमस्त हो चुके हो कि सत्यता तुम्हें दिखाई ही नहीं दे रही है। तुम मेरे शिष्यों को जान से मार देने की धमकी देते हो कि ये कर दूँगा, वो कर दूँगा।
मुझसे काल का कोई चक्र छिपा नहीं है
मेरे हृदय की कोमलता को तुम जैसे लोग क्या समझेंगे? और मेरी कठोरता की तुम कल्पना नहीं कर सकते। मुझे बरबाद करने के लिए तुम अपनी पूरी क्षमता लगा लो, तन्त्र-मन्त्र आदि सब लगा दो, लेकिन तुम कुछ नहीं कर पाओगे। मुझसे काल का कोई चक्र छिपा नहीं है। मैं अपनी साधनाओं का कभी दुरुपयोग नहीं करता तथा मेरी साधनाएं समाजकल्याण के लिए समर्पित हैं। मेरा जैसा जीवन है, समाज के बीच है।
ब्राह्मण के नाम पर तुम कलंक हो
मेरे द्वारा उन धार्मिकस्थलों का कभी विरोध नहीं किया जाता, जहाँ सच्चाई, ईमानदारी से कार्य होता है। अरे पण्डोखर, ब्राह्मण के नाम पर तुम कलंक हो, जो यह भी नहीं जानते कि ब्राह्मण और ब्राह्मणत्व क्या होता है? तुमने नीचता, धूर्तता की सीमाएं लांघी हंै और यदि कोई बजरंगबली का वास्तविक भक्त होता, तो वह नीचता की सीमाएं न लांघता।
तुम्हारी अन्तरात्मा मर चुकी है और यदि किसी कोने में अच्छाई के प्रति स्पंदन है, तो सुधर जाओ, अन्यथा भगवती मानव कल्याण संगठन के लाखों कार्यकर्ता जब आवाज़ उठायेंगे, तब तुम्हारी दुकानदारी नहीं चलेगी।
समाज के लोग निर्भय और सजग रहें
मैं समाज के लोगों का आवाहन करता हूँ कि निर्भय रहो, सजग रहो। मेरे 20 लाख से अधिक शिष्य हैं और एक लाख से अधिक शिष्य समाज के बीच कार्य कर रहे हैं। वे सभी निर्भयता का जीवन जीते हैं और जो माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी के भक्त हैं, ‘माँ की आराधना करते हैं, उनके ऊपर किसी भी तन्त्र-मन्त्र का कोई प्रभाव नहीं होता। मेरी तीनों धाराएं समाज को दिशा देने के लिए हैं और मुझे कभी भी कोई चुनाव नहीं लडऩा है।
मेरा कार्य समाज को जाग्रत् करना है और मेरा अधिकांश समय अग्नि के समक्ष व्यतीत होना है। सनातनधर्म की रक्षा कैसे होनी है? यह कार्य भगवती मानव कल्याण संगठन कर रहा है।