Wednesday, November 27, 2024
Homeजनजागरण'माँ' की साधना-आराधना से ही हम सभी का जीवन प्रकाशित हो सकता...

‘माँ’ की साधना-आराधना से ही हम सभी का जीवन प्रकाशित हो सकता है: बहन संध्या शुक्ला

सिंगरौली। जन-जन में अध्यात्मिक चेतना का संचार करने के लिए भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट के द्वारा देशस्तर पर जनजागरण अभियान के साथ दिव्य अनुष्ठान करवाए जा रहे हैं। इसी क्रम में दिनांक 24-25 दिसम्बर 2022 को खेल मैदान, चितरंगी, जि़ला-सिंगरौली में 24 घंटे के श्री दुर्गाचालीसा अखंड पाठ का आयोजन किया गया, जिसमें हज़ारों  की संख्या में पहँुचकर क्षेत्रीय जनमानस ने नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान्, चेतनावान्, पुरुषार्थी और परोपकारी जीवन जीने का संकल्प ‘माँÓ-गुरुवर की दिव्य छवि के समक्ष नतमस्तक होकर लिया।

कार्यक्रम की समापन बेला पर अध्यात्मिक तपस्थली पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम से पहुँचीं भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सिद्धाश्रमरत्न शक्तिस्वरूपा बहन संध्या शुक्ला जी ने अपने दिव्य उद्बोधन में कहा कि ”माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा को सच्चे मन से पुकारो, अपने बच्चों की पुकार को वे अनुसुना कर ही नहीं सकतीं। इस कलिकाल के वातावरण में ‘माँ की साधना-आराधना से ही हम सभी का जीवन प्रकाशित हो सकता है।

AVvXsEg0iq8 scTV0Ke sJMWAnbB8nZ GMupd 8vPoXJLvNhNyn7TKMKSfRWNJFOwoTTKNPH2c2KEG69aouwdHnSAY2ghQJQQk pIt0GI9L7X96WMgLuOH UpuxI8PqONkfWjvbBeFZlTqEUnc8n5xEpaB0k3 oM9rVI3UvEVqVMmAQJkVCMqGuuqLYr4vY

आज अपने सनातनधर्म के प्रति हर व्यक्ति को जाग्रत् होने की आवश्यकता है। अपने बच्चों को धर्मवानबनाएं, संस्कारवान बनाएं, अपनी भारतीय संस्कृति की ओर बढ़ाएं और जब वे अच्छे संस्कारों से पुष्पित, पल्लवित होंगे, तभी आपकी बात सुनेंगे और समाज को भी अपने चरित्रबल से प्रकाशित करेंगे। 

धर्म का तात्पर्य ढोंग-पाखंड और सम्प्रदायवाद नहीं है। सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने कहा है कि धर्म का तात्पर्य है अपने धर्म का दृढ़ता से पालन करो और दूसरे धर्मों का सम्मान करो। हमें लड़ाई-झगड़ा नहीं करना है, दंगा नहीं करना है, लेकिन अपने सनातनधर्म का दृढ़ता से पालन करना हम सभी का कत्र्तव्य है। आज समाज का सबसे बड़ा शत्रु नशा है, मांसाहार है, चरित्रहीनता है। 

भगवती मानव कल्याण संगठन नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान् समाज के निर्माण में सतत लगा हुआ है और परम पूज्य गुरुवरश्री की विचारधारा से करोड़ों-करोड़ लोगों जीवन में परिवर्तन आ चुका है। इस संगठन के माध्यम से मानवता की सेवा का कार्य किया जा रहा है, समाज के लोगों को नशामुक्त बनाया जा रहा है और अवैध शराब की खेपें पकड़कर ज़ब्त करवाई जा रही हैं। हज़ारों स्थानों से नशे की खेपें पकड़कर सम्बंधित थानों की पुलिस को सूचना देकर ज़ब्त करवाई जा चुकी हैं और यह कार्य निरन्तरता लिए हुए है। यदि आप अपने धर्म के प्रति आस्था रखते हो, तो नशामुक्त होजाओ, मांसाहारमुक्त होजाओ, चरित्रवान् जीवन अंगीकार कर लो, आपका जीवन स्वस्थ और सुखमय हो जायेगा। अगर वास्तव में भारत को विश्वगुरु बनाना है, तो उसे पहले नशेरूपी ज़हर से मुक्त करना होगा।

भगवती मानव कल्याण संगठन के केन्द्रीय मुख्य सचिव सिद्धाश्रमरत्न आशीष शुक्ला (राजू भइया) जी ने कार्यक्रम में उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ”नशामुक्त जीवन कह देना एक बहुत साधारण सी बात लगती है, लेकिन यह साधारण शब्द आपके पूरे जीवन को बदल सकती है। नशामुक्त व्यक्ति, जो अध्यात्मिक जीवन जीता है, नित्यप्रति सूर्यादय से पहले जगता है, स्नानादि कार्य से निवृत्त होकर ‘माँ की साधना-आराधना करता है। विचार करिए कि ऐसे लोग समाज में कितना बड़ा परिवर्तन कर सकते हैं। परम पूज्य गुरुवर भगवती मानव कल्याण संगठन को, अपने शिष्यों को इसी ओर बढ़ाते चले जा रहे हैं और गुरुवरश्री के आशीर्वाद से करोड़ों लोगों के जीवन में परिवर्तन आ चुका है। 

बहुत से पाखंडी-आडंबरी समाज में विचरण कर रहे हैं, जगह-जग अड्डा बनाए हुए हैं, जो आपको लूट लेना चाहते हैं। इन लुटेरों से बचिए। पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम वह स्थान है, जहाँ धर्म-अध्यात्म की सरिता प्रवाहित है, जहाँ चहुंओर ‘माँ की चेतनातरंगें प्रवाहित हो रही हैं, वहाँ पहुंचिए और ‘माँ के दर्शन करिए, श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ मंदिर में बैठकर ‘माँ का गुणगान करिए, सुबह-शाम सम्पन्न होने वाले दिव्य आरतीक्रम का लाभ लीजिए। परम पूज्य गुरुवरश्री से मिलकर अपनी समस्याओं के निदान का मार्ग के साथ ही आशीर्वाद प्राप्त कीजिए। वहाँ कहीं, कोई शुल्क नहीं लगता। भक्तों के लिए 24 घण्टे वहाँ के दरवाजे खुले रहते हैं।

आज चाहे अमीर हो, या $गरीब सभी लोग किसी न किसी दु:ख से, किसी न किसी बीमारी से ग्रसित हैं। आख़्िार क्यों? इसलिए कि उनकी आत्मशक्ति मज़बूत नहीं है। माता जगदम्बे की नित्यप्रति साधना-आराधना करिए और आत्मशक्ति को दृढ़ बनाईए, इसी में सभी समस्याओं का निदान निहित है।

उद्बोधनक्रम के पश्चात् सभी भक्तों ने शक्तिजल और प्रसाद ग्रहण करके जीवन को धन्य बनाया।

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

आगामी कार्यक्रमspot_img

Popular News