Thursday, November 28, 2024
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भारत की पहली नेजल वैक्सीन की लॉन्चिंग

नई दिल्ली। भारत बायोटेक 26 जनवरी को अपनी इंट्रानेजल कोविड-19 वैक्सीन ढ्ढहृष्टह्रङ्क्रष्टष्ट लॉन्च कर रही है, जो भारत में अपनी तरह का पहली वैक्सीन है। कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। वे भोपाल में इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में बोल रहे थे।

फेस्टिवल में शामिल हुए कृष्णा एला ने स्टूडेंट्स से बातचीत करते हुए कहा कि मवेशियों में लंपी त्वचा रोग के लिए स्वदेशी टीका लंपी-प्रोवैकइंड भी अगले महीने लॉन्च हो सकता है। कंपनी ने दिसंबर 2022 में बताया था कि वह अपनी इंट्रानेजल वैक्सीन सरकार को 325 रुपये प्रति शॉट और निजी टीकाकरण केंद्रों को 800 रुपये प्रति शॉट के हिसाब से बेंचेगी।

क्या है नेजल वैक्सीन?

फिलहाल हमें मांसपेशियों में इंजेक्शन के जरिए वैक्सीन लगाई जा रही है। इस वैक्सीन को इंट्रामस्कुलर वैक्सीन कहते हैं। नेजल वैक्सीन वो होती है, जिसे नाक के जरिए दिया जाता है। चूँकि इसे नाक के ज़रिए दी जाती है इसलिए इसे इंट्रानेजल वैक्सीन कहा जाता है। यानी इसे इंजेक्शन से देने की ज़रूरत नहीं है और न ही ओरल वैक्सीन की तरह ये पिलाई जाती है। यह एक तरह से नेजल स्प्रे जैसी है।

यह काम कैसे करती है?

कोरोनावायरस समेत कई माइक्रोब्स (सूक्ष्म वायरस) म्युकोसा (गीला, चिपचिपा पदार्थ जो नाक, मुंह, फेफड़ों और पाचनतंत्र में होता है) के ज़रिए शरीर में जाते हैं। नेजल वैक्सीन सीधे म्युकोसा में ही इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करती है। यानी, नेजल वैक्सीन वहाँ लडऩे के लिए सैनिक खड़े करती है, जहाँ से वायरस शरीर में घुसपैठ करता है। नेजल वैक्सीन आपके शरीर में इम्युनोग्लोबुलिन प्रोड्यूस करती है और यह इन्फेक्शन रोकने के साथ-साथ ट्रांसमिशन को भी रोकता है।

 एक डोज ही प्रभावी

अभी भारत में लगाई जा रहीं वैक्सीन के दो डोज दिए जा रहे हैं। दूसरे डोज के 14 दिन बाद वैक्सीनेट व्यक्ति सेफ माना जाता है। ऐसे में नेजल वैक्सीन 14 दिन में ही असर दिखाने लगती है। इफेक्टिव नेजल डोज न केवल कोरोना वायरस से बचाएगी, बल्कि बीमारी फैलने से भी रोकेगी। मरीज में माइल्ड लक्षण भी नज़र नहीं आएंगे। वायरस भी शरीर के अन्य अंगों को नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा।

यह सिंगल डोज वैक्सीन है, इस वजह से ट्रैकिंग आसान है। इसके साइड इफेक्ट्स भी इंट्रामस्कुलर वैक्सीन के मुकाबले कम हैं। इसका एक और बड़ा फायदा यह है कि सुई और सीरिंज का कचरा भी कम होगा।

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