नई दिल्ली, संकल्प शक्ति। ‘मन की बात के 100वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि जिस तरह लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं, तो प्रसाद की थाल लाते हैं, उसी तरह मन की बात ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में मेरे लिए प्रसाद की थाल जैसे है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 3 अक्टूबर 2014 को विजयादशमी के मौ$के पर हम सबने मिलकर विजयादशमी के दिन ‘मन की बातÓ की यात्रा शुरू की थी। विजयादशमी यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व। यह एक ऐसा पर्व बन गया है, जो हर महीने आता है। हम इसमें सकारात्मकता और लोगों की प्रतिभागिता को सेलिब्रेट करते हैं। यकीन नहीं होता कि इसे इतने साल गुजर गए और हर एपिसोड नया रहता है। देशवासियों की नई सफलताओं का विस्तार इसमें मिलता है। देश के कोने-कोने से हर आयु वर्ग के लोग जुड़े।
हर महीने मैं देशवासियों के त्याग की पराकाष्ठा देखता हूं। मुझे लगता ही नहीं है कि आपसे थोड़ा भी दूर हूं। ‘मन की बातÓ कार्यक्रम नहीं, यह मेरे लिए आस्था,पूजा और व्रत है। जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं, तो प्रसाद की थाल लाते हैं। मन की बात ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल जैसे है और यह मेरे लिए अध्यात्मिक यात्रा बन गया है। अहम से वयम की यात्रा है।
संस्कार साधना है
यह तो मैं नहीं, तू ही की संस्कार साधना है। कल्पना करिए कि कोई देशवासी 40-40 साल से निर्जन ज़मीन पर पेड़ लगा रहा है, कोई 30 साल से जलसंरक्षण के लिए बावड़ी बना रहा है, कोई निर्धन बच्चों को पढ़ा रहा है, कोई $गरीबों की इलाज में मदद कर रहा है। कितनी ही बार ‘मन की बात में इनका जिक्र करते वक्त मैं भावुक हुआ।
पर्यावरण को लेकर…
आज देश में टूरिज्म बढ़ रहा है। नदियां, पहाड़ या फिर तीर्थस्थल, उन्हें साफ रखना जरूरी है। इससे टूरिज्म इंडस्ट्री को मदद मिलेगी। हमने इनक्रेडिबल इंडिया मूवमेंट की चर्चा की। लोगों को पहली बार ऐसी जगहों के बारे में पता चला, जो आसपास थी, पर जानते नहीं थे।
हमने स्वच्छ सियाचिन, सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगातार बात की। पूरी दुनिया पर्यावरण को लेकर परेशान है। उसमें ‘मन की बात का प्रयास अहम है।
चलते रहो, चलते रहो
उपनिषदों में कहा गया है- चलते रहो, चलते रहो, चलते रहो। आज हम इसी चरैवेति भावना के साथ ‘मन की बात का 100वां एपिसोड पूरा कर रहे हैं। भारत के समाजिक ताने-बाने को मज़बूती देने में यह माला के धागे की तरह है। हर एपिसोड में देशवासियों की सेवा और सामथ्र्य ने प्रेरणा दी है। यह कार्यक्रम हमेशा सद्भावना,सेवा भावना से आगे बढ़ा है।