Wednesday, November 27, 2024
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मानवता की सेवा में सतत रत है भगवती मानव कल्याण संगठन: बहन संध्या शुक्ला

पथरिया, दमोह। सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के आशीर्वाद से दिनांक 27-28 अप्रैल को शादी हॉल, दमोह रोड, बस स्टैण्ड, पथरिया में 24 घंटे का श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ हज़ारों भक्तों की उपस्थिति में सम्पन्न किया गया।

समापन अवसर पर भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष शक्तिस्वरूपा बहन सिद्धाश्रमरत्न संध्या शुक्ला जी ने उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ”यह अनुष्ठान कोई साधारण अनुष्ठान नहीं है, इन अनुष्ठानों के माध्यम से देश के लाखों लोगों के जीवन में परिवर्तन आया है। इन आयोजनों के माध्यम से लाखों धर्मयोद्धा तैयार हुए हैं और जनकल्याणकारी कार्यों में लगे हुए हैं तथा अनीति-अन्याय-अधर्म के विरुद्ध अपनी आवाज़ उठा रहे हैं। आप लोग भी इस अनुष्ठान की ऊर्जा को अपने आपमें समाहित करें और अपने सनातनधर्म की रक्षा के लिए आगे आएं।

आज मानवता की सेवा के नाम पर बहुत सारी संस्थाएं बनी हुई हैं, लेकिन सब दिखावे के लिए हैं, उनकी कथनी और करनी में बहुत बड़ा अन्तर है। जबकि, भगवती मानव कल्याण संगठन  में एक ऋषि की ऊर्जा जुड़ी हुई है, जो सतत मानवता की सेवा में रत है।

उद्बोधन के क्रम में भगवती मानव कल्याण संगठन के केन्द्रीय मुख्य सचिव सिद्धाश्रमरत्न आशीष शुक्ला (राजू भइया) जी ने कहा ”बहुत से लोग इन्तज़ार कर रहे हैं कि कब परिवर्तन आयेगा? अरे, समाज में इतना बड़ा परिवर्तन आ रहा है, उसे खुली आंखों से देखने की ज़रूरत है। परम पूज्य गुरुवरश्री के आशीर्वाद और भगवती मानव कल्याण संगठन के प्रयास से लाखों-लाख लोग नशे-मांसाहार से मुक्त होकर चरित्रवान् जीवन जीते हुए अध्यात्मपथ पर बढ़ चले हैं। क्या यह परिवर्तन नहीं है?

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श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ एक ऐसा दिव्य अनुष्ठान है, जिसके माध्यम से परम पूज्य गुरुवर ने समाज को ‘माँ’ की साधना करना सिखा दिया।

 घोघरा, सागर। दिनांक 28-29 अप्रैल को ग्राम-घोघरी, जि़ला-सागर में 24 घंटे का श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ भव्यतापूर्वक सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के शुभारम्भ में उपस्थित जनसमुदाय ने बड़ी ही तन्मयता  से ‘माँ’-गुरुवर के जयकारे लगाए और शंखध्वनि की।

आयोजित दिव्य अनुष्ठान की समापन बेला पर शक्तिस्वरूपा बहन संध्या शुक्ला जी ने कहा ”परम पूज्य गुरुवरश्री के चरणों से जुड़कर हमने जाना कि ‘माँ की साधना कितना सहज और सरल है। जबकि समाज के बीच यह भ्रान्ति थी कि यह साधना बहुत ही कठिन है और कोई भी त्रुटि होजाने से ‘माँ रुष्ठ होजाती हैं। अरे, ‘माँ तो दयामयी हैं, करुणामयी हैं, वे तो सभी की पालनहार हैं। 

आज भगवती मानव कल्याण संगठन और भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के कार्यकर्ताओं के प्रयास का परिणाम है कि लाखों-लाख लोगों में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। आप लोगों को अपनी संस्कृति की, अपने सनातनधर्म की रक्षा करना है, इसके लिए पाश्चात्य संस्कृति से, भोग-विलास के जीवन से दूर हटना होगा, अन्यथा हमारी भारतीय संस्कृति की, हमारे सनातनधर्म की रक्षा नहीं होगी। ऋषियों-मुनियों की परम्परा को अपनाएं, उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलें, योग-ध्यान-साधना के क्रमों को जीवन में उतारें।

शक्तिस्वरूपा बहन ने कहा कि ”नशा मत करो, इससे पूरा जीवन बरबाद होजाता है। आसुरी जीवन छोड़कर धर्म-अध्यात्म का पथ अपनाएं। नशा करना, चरित्रहीनता का जीवन जीना, लड़ाई-झगड़ा करना, यह सब आसुरी जीवन है।

सिद्धाश्रमरत्न आशीष शुक्ला जी ने कहा कि ”हमारा भारत देश ऋषियों-मुनियों की पावन धरा है।  हम धर्मपथ पर बढ़ रहे हैं, अध्यात्मपथ पर बढ़ रहे हैं। ऋषिवर सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने लाखों-लाख लोगों को धर्म-अध्यात्म के पथ से जोड़ दिया है, ‘माँ की साधना से जोड़ दिया है। सद्गुुरुदेव जी ने हमें ज्ञान दिया है कि यह शरीर हमें पल-प्रतिपल ठग रहा है, कभी आलस्य के रूप में, तो कभी लोभ-लालच के रूप में, इनसे बचिए और शरीर का उपयोग अच्छे कार्यों में कर डालिए, धर्मपथ पर बिना रुके बढ़ते रहिए, कत्र्तव्यपथ पर बिना रुके बढ़ते रहिए, यह मुक्ति का पथ है और यही सच्चा जीवन है।

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