Sunday, November 24, 2024
Homeदेश प्रदेशनाम बदलना नागरिक का मूल अधिकार्

नाम बदलना नागरिक का मूल अधिकार्

प्रयागराज। एक महत्त्वपूर्ण फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि धर्म, जाति के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपना नाम चुनने अथवा बदलने का मौलिक अधिकार है। यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19(1)ए, अनुच्छेद 21 व अनुच्छेद 14 के अंतर्गत सभी नागरिकों को प्राप्त है। इस अधिकार को प्रतिबंधित करने का नियम मनमाना एवं संविधान के विपरीत है। 

कोर्ट ने कहा, किसी को अपना नाम बदलने से रोकना उसके मूल अधिकारों का हनन है। कोर्ट ने इसे इंटरमीडिएट रेग्यूलेशन 40 को अनुच्छेद 25 के विपरीत करार दिया। यह नाम बदलने की समय सीमा व शर्तें थोपती है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने एमडी समीर राव की याचिका स्वीकार करते हुए दिया है। भारत सरकार के गृह सचिव व प्रदेश के मुख्य सचिव को इस संबंध में लीगल फ्रेम वर्क तैयार करने का भी आदेश कोर्ट ने दिया है। 

कोर्ट ने सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद के 24 दिसंबर 2020 के आदेश से याची को हाईस्कूल व इंटरमीडिएट प्रमाणपत्र में नाम परिवर्तित करने की मांग अस्वीकार करने के आदेश को रद्द कर दिया है। साथ ही याची का नाम शाहनवाज के स्थान पर एमडी समीर राव बदलकर नया प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याची को पुराने नाम के सभी दस्तावेज संबंधित विभागों में जमा करने का निर्देश दिया है, ताकि नये नाम से जारी किए जा सकें और पुराने दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल न हो सके।  

यह है मामला

याची ने धर्म परिवर्तन किया और नाम बदलने की अर्जी बोर्ड को दी। बोर्ड सचिव ने नियमों व समयसीमा का हवाला देते हुए अर्जी खारिज कर दी। इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। बोर्ड का कहना था कि नाम बदलने की मियाद तय है। कतिपय प्रतिबंध हैं। याची ने नाम बदलने की अर्जी देने में काफी देरी की है। कोर्ट ने इसे सही नहीं माना और कहा कि यदि कोई धर्म जाति बदलता है तो धार्मिक परंपराओं व मान्यताओं के लिए उसका नाम बदलना ज़रूरी हो जाता है। उसे ऐसा करने से नहीं रोका जा सकता, यह मनमाना है। किसी को भी अपनी मर्जी से नाम रखने का मूल अधिकार है।

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

आगामी कार्यक्रमspot_img

Popular News