संकल्प शक्ति, अलोपी शुक्ला। वर्ष 2012 में पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम पर हुए युगपरिवर्तन के महाशंखनाद के बाद से हमारा देश भारत जहाँ लगातार विकास के पथ पर अग्रसर है, वहीं राममंदिर जैसी कई अनसुलझी समस्याएं भी सुलझी हैं। युगपरिवर्तन की कड़ी में चन्द्रयान-3 की सफलता के बारे में भी ऋषिवर सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज का चिन्तन बना हुआ था।
ऋषिवर के चिन्तन और करोड़ों भारतीयों की प्रार्थना तथा इसरो के विज्ञानियों के अथक प्रयासों से चंद्रयान-3 अंतत: चांद पर पहुंच ही गया। इस सफलता ने पूरे देश में आनन्दातिरेक चेतनातरंग दौड़ा दी। इस अभूतपूर्व सफलता से देशवासियों के अंदर ईश्वरीयशक्ति के प्रति, अपनी आत्मा के प्रति विश्वास दृढ़ हुआ है कि विश्वपटल पर ऐसा कोई काम नहीं, जो हम नहीं कर सकते।
आज भारत ने चन्द्रलोक के दक्षिणी धु्रव पर लैंडर विक्रम की साफ्ट लैंडिंग कराकर विश्व के उन्नत देशों-अमेरिका, रूष, चीन आदि को अपने पीछे छोड़ दिया है। इसरो ने अपने चंद्रयान-3 अभियान को न केवल कम लागत में पूरा किया, बल्कि स्वयं की वैज्ञानिकशक्ति के बल पर किया। फलस्वरूप आज दुश्मन देश भी भारत की प्रशंसा करने के लिए बाध्य हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चंद्रयान-3 अभियान की सफलता पर बधाई देते हुए उचित ही कहा कि ”यह विकसित भारत का शंखनाद है और नए भारत का जयघोष है तथा इसरो की यह सफलता 140 करोड़ देशवासियों को उत्साह एवं उमंग प्रदान करने वाली है।ÓÓ उनका यह कहना भी ठीक ही है कि ”भारत की यह उड़ान चंद्रयान से भी आगे जाएगी और जल्द ही सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिए इसरो आदित्य एल-1 मिशन भी लांच करेगा। इसके बाद सौरमंडल को परखने के लिए दूसरे अभियान भी शुरू किए जाएंगे।