हरतालिका व्रत को हरतालिका तीज या तीजा भी कहते हैं। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को किया जाता है। इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं और कुंवारी युवतियाँ गौरी-शङ्कर की पूजा करती हैं। यह त्यौहार करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है, क्योंकि जहाँ करवाचौथ में चन्द्र देखने के उपरांत व्रत सम्पन्न कर दिया जाता है, वहीं तीजा व्रत में पूरे दिन निर्जला रहकर अगले दिन पूजन के पश्चात् ही व्रत सम्पन्न किया जाता है। इस वर्ष हरतालिका तीज दिनांक 18 सितम्बर को है।
सौभाग्यवती महिलाएं अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन अनुसार वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान् शिव शङ्कर के लिए रखा था। इस दिन विशेष रूप से गौरी-शंकर का ही पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और नहा धोकर पूरा शृंगार करती हैं। पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी-शङ्कर की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ ही भजन, कीर्तन करते हुए जागरण करके शिव-पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है।
अधिकतर यह व्रत मध्यप्रदेश, पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार के लोग मनाते हैं। महाराष्ट्र में भी इस व्रत का पालन किया जाता है, क्योंकि अगले दिन ही गणेश चतुर्थी के दिन गणेश स्थापना की जाती है।