सदियों से प्राकृतिक औषधियों का इस्तेमाल शरीर की विभिन्न परेशानियों के उपचार में किया जाता रहा है। खासकर, आयुर्वेदिक इलाज में इनका विशेष महत्त्व है। जानकारी के अभाव और आधुनिक दवाइयों पर निर्भरता के कारण भले ही इनके उपयोग में कमी आई हो, लेकिन इनके गुणों को नकारा नहीं जा सकता है। शरीर के लिए पिप्पली के अनेक फायदे हैं।
लिवर के लिए
पिप्पली का उपयोग लिवर को स्वस्थ रखने के लिए किया जा सकता है। दरअसल, इसमें हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो लिवर के स्वास्थ्य को बरकरार रखने का काम कर सकते हैं। इसी गुण की वजह से पिप्पली का उपयोग लिवर से जुड़े जोखिम से बचने के लिए भी किया जा सकता है।
कब्ज की समस्या
कब्ज की समस्या में भी पिप्पली के गुण काम कर सकते हैं। दरअसल, यह औषधि डाइजेस्टिव एजेंट की तरह काम कर सकती है, जिससे भोजन को सही से पचाने में मदद मिल सकती है। साथ ही यह मल निकासी में सहयोग कर कब्ज में आराम दिला सकती है। इस तरह पिप्पली का उपयोग कब्ज में सहायक साबित हो सकता ह।
मलेरिया में लाभकारी
मलेरिया की स्थिति में पिप्पली का उपयोग लाभकारी साबित हो सकता है। दरअसल, पिप्पली में एंटी मलेरिया गुण पाए जाते हैं, जो मलेरिया से बचाव और इसके प्रभाव को कुछ हद तक कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इसलिए मलेरिया से बचाव के लिए पिप्पली को वैकल्पिक रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है।
खांसी के लिए
अगर किसी को खांसी की समस्या है, तो पिप्पली चूर्ण का उपयोग खांसी के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। पिप्पली के इस लाभ की वजह है, इसमें मौजूद एंटीट्यूसिव प्रभाव, जो खांसी से बचाने और राहत दिलाने का काम कर सकते हैं। इसके लिए मरीज को डॉक्टरी सलाह पर पिप्पली चूर्ण का सेवन कराया जा सकता है।
अपच की समस्या से राहत
पिप्पली का सेवन अपच जैसी समस्या से राहत पहुंचाने का काम कर सकता है। इसके लिए इसमें पाए जाने वाले डाइजेस्टिव गुण फायदेमंद हो सकते हैं। दरअसल, डाइजेस्टिव गुण भोजन को सही से पचाने में सहायता करते हैं, जिससे अपच की समस्या से राहत मिल सकती है।
दांत दर्द को करे कम
पिप्पली में पिपराइन नामक एल्कलॉइड पाया जाता है, जो कई तरह की समस्याओं में हर्बल औषधि की तरह काम कर सकता है। इनमें खांसी, बुखार व सिरदर्द के साथ दांत दर्द भी शामिल है। पिप्पली दांत दर्द को कम करने में मदद करता है।
दस्त की समस्या से राहत
पिप्पली दस्त की स्थिति में भी लाभकारी है। एक मेडिकल शोध से पता चलता है कि पिप्पली के मुख्य घटक पिपराइन में एंटीडायरियल गुण पाया जाता है। एंटीडायरियल गुण दस्त के दौरान मल की तीव्रता को नियंत्रित करने का काम कर सकता है। शोध में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि पिपराइन कैस्टर ऑयल की वजह से होने वाले डायरिया में भी लाभकारी हो सकता है।
अस्थमा के लिए
पिप्पली का इस्तेमाल ब्रोन्कियल अस्थमा की स्थिति में उपयोगी साबित हो सकता है। ब्रोन्कियल अस्थमा वो स्थिति है, जिसमें श्वसन मार्ग में सूजन आ जाती है। परिणामस्वरूप, श्वसन मार्ग संकुचित होजाता है और जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। यह एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होती है और यह गुण श्वसन मार्ग की सूजन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जिससे ब्रोन्कियल अस्थमा के दौरान आराम मिल सकता है।