संकल्प शक्ति। सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज मध्यप्रदेश के शहडोल जि़ले में स्थित पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम से दिनांक 20 नवम्बर को प्रात: 09:00 बजे श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ मंदिर और मूलध्वज साधना मंदिर में माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा को नमन करने के उपरान्त गुरुजन्मस्थली ग्राम-भदबा, जि़ला-$फतेहपुर (उत्तरप्रदेश) के लिए प्रस्थित हुए। गुरुवरश्री के वाहन के पीछे पूजनीया शक्तिमयी माताजी व शक्तिस्वरूपा बहन ज्योति दीदी जी का वाहन चल रहा था और उनके पीछे प्रमुख पदाधिकारियों तथा कुछ अन्य वाहनों में शिष्यगण चल रहे थे।
जयकारे लगाते व शंखध्वनि करते हुए तथा नमनभाव से कतारबद्ध खड़े आश्रमवासियों को वाहन से ही आशीर्वाद प्रदान करके सद्गुरुदेव जी महाराज सर्वप्रथम स्वामी रामप्रसाद आश्रम जी महाराज की समाधिस्थल पर गये, पश्चात् त्रिशक्ति गोशाला पहुंचे, जहाँ पर उन्हें नमन करने के लिये द्वार पर तोरणद्वार सजाए गोसेवक कतारबद्ध जयकारे लगाते व शंखध्वनि करते हुये खड़े थे, इन्हें भी आपश्री ने आशीर्वाद प्रदान किया। शनै: शनै: गुरुवरश्री रीवा सड़क मार्ग पर आगे बढ़े। परम पूज्य गुरुवरश्री के आगमन का आभास पाकर ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में स्थान-स्थान पर आरती की थाल सजाये खड़े शिष्य व भक्तगण सद्गुरुदेव जी के दर्शन करने हेतु पंक्तिबद्ध खड़े थे। यात्रा ग्राम-मऊ, देवलौंद (बाणसागर) होते हुए बघवार पहुंची।
सभी स्थानों पर गुरुभाई-बहन व क्षेत्रीयजनों ने अति उल्लास-उमंग के साथ हाथ जोड़कर सद्गुरुदेव जी महाराज को नमन किया।
गोविन्दगढ़, बेला, रामपुर बघेलान में हज़ारों की संख्या में क्षेत्रीय गुरुभाई-बहनें ‘माँÓ-गुरुवर के जयकारे लगाते हुए खड़े थे। सभी ने गुरुवरश्री को नमन करके आशीर्वाद प्राप्त किया। रामपुर बघेलान से सद्भावना यात्रा सतना पहुँची, जहाँ क्षेत्रीयजनों का समूह उमड़ पड़ा था। गुरुवरश्री ने वाहन से ही सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान किया।
यात्रा सतना शहर के सेमरिया चौराहा, सर्किट हाउस चौराहा, सिविल लाइन तिराहे से कोठी, मझगवाँ और नयागाँव होते हुए चित्रकूट पहुँची। चित्रकूट में ‘माँÓ-गुरुवर के जयकारों, शंखध्वनि और पुष्पवर्षा के साथ सद्गुरुदेव जी महाराज की अगवानी की गई। सैकड़ों की संख्या में शाखा-बाँदा व चित्रकूट के कार्यकर्ताओं ने वाहन रैली के माध्यम से यात्रा के साथ जुड़कर शहर में जगह-जगह स्वागत किया। विश्रामस्थल ‘दि रिवर फ्रंट रिसॉर्टÓ के सामने स्वागतार्थी जयकारे लगाते व शंखध्वनि करते हुए शृंखलाबद्ध खड़े थे। सभी ने परम पूज्य गुरुवरश्री को हाथ जोड़कर नमन किया और आशीर्वाद के पात्र बने।
दिनांक 21 नवम्बर की प्रात:कालीन बेला, विश्रामस्थल परिक्षेत्र गुरुभाई-बहनों और ‘माँÓ के भक्तों के द्वारा लगाए जा रहे जयकारों और किए जा रहे शंखनाद से गुंजायमान था। प्रात: 07:30 बजे गुरुवरश्री आगे की यात्रा के लिए प्रस्थित हुए। आगे-आगे सैकड़ों दोपहिया वाहनों में शिष्यगण चल रहे थे, मोटरसाइकिलों पर पीछे बैठे हुए सभी शिष्यों के हाथ में शक्तिदण्डध्वज शोभित थे। मोटरसाइकिलों की शृंखला के पीछे परम पूज्य गुरुवरश्री, पूजनीया शक्तिमयी माता जी, पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट की प्रधान न्यासी शक्तिस्वरूपा बहन ज्योति दीदी जी का वाहन और अन्य वाहन आगे बढ़ रहे थे तथा उसके पीछे सैकड़ों वाहनों की लम्बी कतार थी।
चित्रकूटवासी इस अद्भुत छटा को देखकर मन्त्रगुग्ध हो रहे थे। यात्रा चित्रकूट धाम स्थित भगवान् कामतानाथ जी के मंदिर के सामने पहुँचकर रुकी और मंदिर के अन्दर पहुँचकर सद्गुरुदेव जी महाराज ने कामतानाथ जी को नमन करके उनकी आरती उतारी। अत्यंत ही मनभावन क्षण और इस अवसर पर पूजनीया शक्तिमयी माता जी, शक्तिस्वरूपा बहन ज्योति दीदी जी और शिष्यों-भक्तों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
सद्भावना यात्रा रामघाट चौराहे से उत्तरप्रदेश की सीमा में प्रवेश करते हुए बड़ी पुलिया, शिवरामपुर, बदौसा, अतर्रा, बिसण्डा होते हुए बबेरू पहुंची। इन सभी स्थानों पर भव्य स्वागतद्वार बनाए गए थे, कतारबद्ध खड़े शिष्यों-भक्तों की विशाल शृंखला, बच्चियों और महिलाओं के हाथों पर कलश शौभायमान थे और जैसे ही उनके सामने सद्गुरुदेव भगवान् का वाहन पहुँचा, परम पूज्य गुरुवरश्री के दर्शन पाकर सभी की आँखें तृप्त हो उठीं।
यात्रा बबेरू से गाजीपुर होते हुए फतेहपुर पहुँची। यहाँ तो अपने आराध्य के स्वागत में और उनके दर्शन हेतु आसपास के अनेक क्षेत्रों से हज़ारों लोग पहुँचे हुए थे, इन सभी को सद्गुरुदेव जी महाराज ने अपना आशीर्वाद प्रदान किया। फतेहपुर में जगह-जगह स्वागतद्वार बनाए गए थे। शनै:-शनै: सद्भावना यात्रा ग्राम-भदबा पहुँची। जयकारे लगाते हुए स्वागतार्थी, महिलाओं और बच्चियों के हाथों में दीपप्रज्जवलितकलश तथा आरती की थाल और गुरुवरश्री को नमन करते हुए गुरुभाई-बहन तथा क्षेत्रीयवासी, ये दृश्य गुरुवरश्री की यात्रा की शोभा को द्विगुणित कर रहे थे।
भदबा ग्राम का प्रवेशद्वार पुष्पों से आच्छादित था। ग्रामवासी अपने-अपने घरों के सामने गुरुवरश्री के दर्शनों हेतु प्रतीक्षारत थे, गुरुदर्शन के लिए उनकी आतुरता देखते ही बनती थी। यात्रा जैसे ही आगे बढ़ी भदबा ग्रामवासी, जो अपने-अपने घरों के सामने हाथ जोड़कर खड़े थे, वाहनों के पीछे चल पड़े, जैसे कि उनका मन गुरुदर्शनों के लिए अभी भी प्यासा हो। सभी के मनोभावों को जानकर गुरुवरश्री ने अपने वाहन में खड़े होकर दोनों हाथों से आशीर्वाद प्रदान किया। आगे-आगे मोटरसाइकिल का का$िफला चल रहा था और हज़ारों भक्त पंक्तिबद्ध होकर आगे बढ़ रहे थे। साथ में गुरुवरश्री, पूजनीया शक्तिमयी माताजी और शक्तिस्वरूपा बहन तथा शिष्यों के वाहन मन्द गति से चल रहे थे। पूरा गांव ‘माँÓ-गुरुवर के जयकारों, शंखध्वनि एवं बैण्डबाजे से गुंजायमान था।
जयकारों और शंखनाद के बीच गुरुवरश्री शक्ति सेवा भवन पहुँचे, जहाँ हज़ारों की संख्या में गुरुभाई-बहन शक्तिदण्डध्वज लिए कतारबद्ध खड़े थे। परम पूज्य गुरुवरश्री ने सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान किया।
दिनांक 22 नवम्बर को सुबह सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज जन्मस्थली प्रांगण गए। यहाँ भी गुरुदर्शन हेतु हज़ारों की संख्या में शिष्य व भक्तगण और ग्रामवासी करबद्ध अनुशासनपूर्वक खड़े थे। सभी को आपश्री ने आशीर्वाद प्रदान किया। दिनांक 22-23 नवम्बर को, अपने आराध्य ऋषिवर श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के आगमन की जानकारी होने पर आसपास के दजऱ्नों गांवों से शिष्यों-भक्तों का प्रवाह उमड़ पड़ा था। शक्ति सेवा भवन में परम पूज्य गुरुवरश्री ने सभी शिष्यों-भक्तों और ग्रामवासियों को सुबह-शाम प्रणाम करने का सौभाग्य प्रदान किया। सभी को केले का प्रसाद वितरित किया गया। इस बीच ग्रामवासियों से व्यक्तिगत मिलकर परम पूज्य गुरुवरश्री ने उनकी जिज्ञासा और समस्याओं का समाधान किया।
वापिसी यात्रा ग्राम भदबा सेसिद्धाश्रम तक
दिनांक 24 नवम्बर को प्रात: लगभग 7:00 बजे, शक्ति सेवा भवन परिसर और भवन के बाहर हज़ारों की संख्या में शिष्यों-भक्तों के साथ ही ग्रामवासी भी उपस्थित थे। उनके द्वारा लगाए जा रहे जयकारों से वहाँ का सम्पूर्ण वातावरण सुवासित हो उठा था। सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने उपस्थित सभी शिष्यों-भक्तों को अपने दोनों हाथों से अपना आशीर्वाद प्रदान किया। विदाई बेला के इन क्षणों पर उपस्थित गुरुभाई-बहन और भदबा ग्रामवासी अत्यन्त भावुक हो उठे थे। गुरुप्रेम के वशीभूत उनके आँखों से प्रेमाश्रु छलक उठे। गांव के बाहर तक जाकर सभीजन विदाई यात्रा के सहभागी बनकर अपने जीवन को धन्य बनाया।
गुरुवरश्री की वापसी यात्रा $फतेहपुर होते हुए प्रयागराज पहुँची। प्रयागराज में भी भक्तों ने यात्रा का भव्य स्वागत किया। यहाँ तो शिष्यों-भक्तों का समूह उमड़ पड़ा था। सभी को गुरुदेव जी ने अपना आशीर्वाद प्रदान किया।
यात्रा जारी, नारीबारी, चाकघाट, गंगेव, मनगवाँ, रीवा बाईपास होते हुए गोविन्दगढ़ और बाणसागर मार्ग से वापस सिद्धाश्रम पहुँची। सिद्धाश्रम में शिष्यों-भक्तों ने ‘माँÓ-गुरुवर के जयकारों व शंखध्वनि के साथ यात्रा की अगवानी की। इस तरह यह सद्भावना यात्रा पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम पहुँचकर सम्पन्न हुई।