नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना नदी के प्रदूषण के लिए प्राय: बढ़ती आबादी और सीवेज को जि़म्मेदार ठहराया जाता है, जबकि यमुना को प्रदूषित करने में उद्योगों का बहुत बड़ा हाथ है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा इसकी सही तरह से निगरानी नहीं की जा रही है।
गौरतलब है कि दिल्ली में जितने भी उद्योग हैं, उनके यहां सेंट्रल इंफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) ठीक से संचालित नहीं हो रहे हैं। जितनी मात्रा में वे गंदगी उत्सर्जित कर रहे हैं, उतनी मात्रा में उसका ट्रीटमेंट नहीं हो रहा है। यही वजह है कि केमिकल की मात्रा का पता नहीं चल पा रहा है और यमुना में झाग ही झाग दिखाई देता है।
आए दिन वायु प्रदूषण के साथ ही यमुना के प्रदूषण की चर्चाएं होती हैं, लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई ठोस $कदम नहीं उठाया गया और यदि राजधानी में शासन-प्रशासन यमुना को साफ नहीं कर पा रहे हैं, तो यह शर्मनाक है।