संकल्प शक्ति। 02 दिसंबर 1984 की रात को कभी भुलाया नहीं जा सकता, जब मानवता चीख उठी थी और वह चीख आज भी रह-रहकर गूँज उठती है। रात्रि 8:30 बजे से मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की हवा में ज़हर घुल रहा था और 03 तारीख लगते ही ये हवा जानलेवा बन गई। इसका कारण था यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का लीक होना और गैस के लीक होने की वजह थी टैंक नंबर 610 में ज़हरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का पानी से मिल जाना। इससे टैंक में दबाव बन गया और वो खुल गया। फिर इससे निकली वो गैस, जिसने हज़ारों की जान ले ली और लाखों को विकलांग बना दिया, जिसका दंश लोग आज भी झेल रहे हैं।
2-3 दिसंबर की रात भोपाल के लिए वो रात थी, जब हवा में मौत बह रही थी। फैक्ट्री के पास ही झुग्गी-बस्ती बनी थी, जहां काम की तलाश में दूर-दराज गांव से आकर लोग रह रहे थे। इन झुग्गी-बस्तियों में रह रहे कुछ लोगों को तो नींद में ही मौत आ गई। जब गैस धीरे-धीरे लोगों को घरों में घुसने लगी, तो लोग घबराकर बाहर आए, लेकिन यहां तो हालात और भी ज़्यादा खराब थे। किसी ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया, तो कोई हांफते-हांफते मर गया।
जैसे-जैसे रात बीत रही थी, अस्पतालों में भीड़ बढ़ती जा रही थी, लेकिन डॉक्टरों को ये मालूम नहीं था कि हुआ क्या है और इसका इलाज कैसे करना है? उस समय किसी की आंखों के सामने अंधेरा छा रहा था, तो किसी का सिर चकरा रहा था और सांस की तकलीफ तो सभी को थी। एक अनुमान के मुताबिक, सिर्फ दो दिन में ही 50 हज़ार से ज़्यादा लोग इलाज के लिए पहुंचे थे। जबकि, कइयों की लाशें तो सड़कों पर ही पड़ी थीं।
भोपाल गैस त्रासदी की गिनती सबसे खतरनाक औद्योगिक दुर्घटना में होती है। इसमें कितनों की जान गई? कितने अपंग हो गए? इस बात का कोई सटीक आंकड़ा नहीं है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस दुर्घटना में 3,787 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 5.74 लाख से ज्यादा लोग घायल या अपंग हुए थे। दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए एक आंकड़े में बताया गया है कि दुर्घटना ने 15,724 लोगों की जान ले ली थी।
मुख्य आरोपी था एंडरसन
इस हादसे का मुख्य आरोपी था वॉरेन एंडरसन, जो इस कंपनी का सीईओ था। 06 दिसंबर 1984 को एंडरसन को गिर$फ्तार भी किया गया, लेकिन अगले ही दिन 07 दिसंबर को उन्हें सरकारी विमान से दिल्ली भेजा गया और वहां से वो अमेरिका चले गए। इसके बाद एंडरसन कभी भारत लौटकर नहीं आए। कोर्ट ने उन्हें फरार घोषित कर दिया था। 29 सितंबर 2014 को फ्लोरिडा के वीरो बीच पर 93 साल की उम्र में एंडरसन का निधन हो गया।
अभी तक नहीं भरे जख्म
गैस लीक होने के दो दिन बाद भोपाल को जहरीली गैस के असर से मुक्त मान लिया गया था, लेकिन 1984 में हुई इस दुर्घटना से मिले जख्म 36 साल बाद भी भरे नहीं हैं।