संकल्प शक्ति। धर्मसम्राट् युग चेतना पुरुष सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के द्वारा अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा से पूर्व; मकर संक्रान्ति पर्व पर, दिनांक 15 जनवरी 2024 को अपने चेतनाअंशों, शिष्यों-भक्तों, देशवासियों और विश्वजनमानस को आशीर्वाद प्रदान करते हुए चिन्तन प्रदान किया गया–
”सनातनधर्म को लेकर अयोध्या में भगवान् श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा के संदर्भ में जो द्वंद्व छिड़ा हुआ है, उस पर कुछ विचार व्यक्त करने के लिए सनातन समाज के सामने उपस्थित हुआ हूँ। सनातनधर्म ने सदैव संघर्ष का रास्ता तय किया है और मैंने अपना पूरा जीवन सनातनधर्म के उत्थान तथा मानवता के कल्याण हेतु समर्पित किया है। आज का दिवस मकर संक्रान्ति के योगों से युक्त अतिपावन है। भगवती मानव कल्याण संगठन के कार्यकर्ता देश के कोने-कोने में जनजागरण में व्यस्त रहते हैं, तो आज भी उनका यह क्रम ज़ारी रहेगा।
अयोध्या धाम के सम्बंध में जो द्वंद्व उपस्थित किया गया है, उस पर सत्य के विचारों को प्रकट करना आवश्यक है। सनातनधर्म को पूर्णरूपेण स्थापित करने के लिए, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मभूमि पर मंदिर बनाने के लिए, श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए पाँच सौ वर्ष से अधिक समय तक संघर्ष करना पड़ा, तब जाकर आज यह पावन दिन देखने को मिल रहा है और प्राण-प्रतिष्ठा की जो तिथि निश्चित की गई है, उसका सबको स्वागत करना चाहिए।
प्राण-प्रतिष्ठा के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी पूरी तरह उचित हैं
शंकराचार्यों के द्वारा इस पर जो विचार रखे गए, क्या वह उचित हैं? उनके द्वारा कहा गया कि नरेन्द्र मोदी के द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा किया जाना उचित नहीं है। मैं कहूंगा कि प्राण-प्रतिष्ठा के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी पूरी तरह उचित हैं। वे सनातनधर्मी हैं, ब्रह्मचारी हैं, साधक हैं और सनातनधर्म के साथ ही देश के लिए भी बहुत कुछ कर रहे हैं। ऐसे विराट व्यक्तित्त्व के धनी व्यक्ति के लिए यदि जाति के आधार पर कोई बात की जाए, तो वहाँ पर बोलना उचित होजाता है। श्रीराम को हम प्राणस्वरूप मानते हैं और आक्रमणकारियों ने उनके जन्मस्थान पर बने मंदिर को ध्वस्त किया, उसका स्वरूप बदला गया, लेकिन वे अवशेष समाप्त नहीं कर पाए। वहाँ पर राममंदिर का निर्माण होने के साथ ही प्राण-प्रतिष्ठा हो रही है।
माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की कृपा से अयोध्या में भगवान् श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, जो कण-कण में व्याप्त हैं, भला उनकी कृपा के बिना कोई क्रम हो सकता है? जहाँ पर बजरंगबली की कृपा हो कि वहाँ पर कभी भूत-पिशाचों की बाधा नहीं होगी, वहाँ के लिए कहा जा रहा है कि भूत-पिशाचों का वास हो जायेगा! मैं सभी धर्मगुरुओं से कहना चाहता हूँ कि जिस कार्य के लिए विश्व के जनमानस में उत्सुकता व्याप्त है, जिनकी श्रद्धा श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है, तो आप लोग कैसे त्रिकालदर्शी हो? कहते हैं कि मंदिर का पूर्ण निर्माण नहीं हुआ है। अरे, गर्भगृह की स्थापना हो चुकी है और जितना निर्माणकार्य हो चुका है, प्राण-प्रतिष्ठा के लिए पर्याप्त है। यदि आत्मज्ञानी नहीं बनोगे, तो जीवनभर भटकते रहोगे।
अनीति-अन्याय-अधर्म के विरुद्ध उठती रहेगी मेरी आवाज़
हमारे शंकराचार्य योगी हैं, ज्ञानी हैं और उनके द्वारा विरोध किया जाए, तो मेरा मानना है कि उन्हें इस सत्य को स्वीकार करना चाहिए कि योगी आदित्यनाथ ने, उत्तरप्रदेश की सरकार ने सनातन के लिए अपना सर्वस्व समर्पण किया है, अत: उन पर प्रश्नचिन्ह लगाना बन्द करें। मेरी आवाज़ हमेशा अनीति-अन्याय-अधर्म के लिए उठती रहेगी। मैं कौन हूँ? यह पहचानने की ज़रूरत है। मैं योगीराज हूं, मैं सच्चिदानंद का अवतार हूं। अयोध्या का जो विकास हो रहा है, वह सराहनीय है। इसके लिए समाज नरेन्द्र मोदी और योगी आदित्यनाथ का हमेशा ऋणी रहेगा। ये दोनों आत्माएं कोई सामान्य आत्माएं नहीं हैं, बल्कि परमधाम की चैतन्य आत्माएं हैं, ऋषिआत्माएं हैं। जाति के आधार पर प्रश्न उठाना, कैसे ज्ञानी हो? अरे, जन्म से तो सभी शूद्र होते हैं और यह आप लोग भी कहते रहते हो।
कैसी विचारधारा का जीवन जी रहे हैं शंकराचार्य?
आज श्रीराम की कृपा से, माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की कृपा से यह पावन दिन देखने को मिल रहा है। हमारे सम्मानित शंकराचार्यों का यह कहना कि जब हमारा समय आयेगा, तब देखेंगे! कैसी विचारधारा का जीवन जी रहे हो? सनातनधर्म के उत्थान के लिए आज से अधिक अच्छा समय और कब आयेगा? यह युगपरिवर्तन का समय है। सभी शंकराचार्य योग्य हैं, सक्षम हैं, बहुत कुछ कर सकते हैं, लेकिन कुछ कर नहीं पा रहे हैं। आखिर क्यों?। मेरे द्वारा अनेक बार कहा जा चुका है कि सत्य के लिए, मानवता के लिए, सनातनधर्म की रक्षा के लिए आगे आइए और अनीति-अन्याय-अधर्म के विरुद्ध सड़क पर उतरकर आवाज़ उठाइए।
मानवता के लिए आज तक क्या कार्य किया?
प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में उपस्थित नहीं होना चाहते! यदि चारों शंकराचार्य उपस्थित होते, तो हमारा सनातनधर्म गौरवान्वित होता। मैं पूछना चाहता हूँ कि आप लोगों ने आज तक क्या कार्य किया है? नशामुक्त समाजनिर्माण के लिए, मानवता के लिए, सत्यधर्म के उत्थान के लिए, गौ-संरक्षण के लिए क्या किया है? जिससे समाज एकजुट हो पाता। केवल सनातन-सनातन कहकर अपने मठ और मंदिरों तक ही सीमित रहे आए। यदि कोई भी साधु-संत-वैरागी सत्य की आवाज़ नहीं बोल सकता, तो इससे सिद्ध होता है कि उनमें कहीं-न-कहीं, कुछ-न-कुछ कमी है। साधु-सन्तों की हत्या हुई, साधु-सन्तों को पीटा जा रहा है, फिर भी ये शंकराचार्य चुप हैं! इस पर भी आज तक आवाज़ नहीं उठाई गई और सनातन की बात करते हैं। अच्छा होता कि चारों शंकराचार्य प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में पहुंचते और प्रधानमंत्री मोदी जी से कहते कि देश को ज़्यादा और कुछ नहीं दे सकते, तो कम से कम देश को पूर्ण नशामुक्त घोषित कर दो और नहीं तो उत्तरप्रदेश को ही नशामुक्त घोषित कर दो और यदि देश को नशामुक्त घोषित नहीं किया गया या उत्तरप्रदेश को नशामुक्त घोषित नहीं किया गया, तो हम सड़क पर उतरकर आन्दोलन करने के लिए बाध्य होंगे। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि ‘आत्मा की अमरता और कर्म की प्रधानता एक शाश्वत सत्य है।
क्या किसी शंकराचार्य का सूक्ष्मशरीर जाग्रत् है?
क्या किसी शंकराचार्य का सूक्ष्मशरीर जाग्रत् है? एक भी शंकराचार्य ने अपने सूक्ष्मशरीर को जाग्रत् नहीं किया है और न ही वे आत्मज्ञानी हैं। यदि अपने सूक्ष्मशरीर को जाग्रत् किया होता, आत्मज्ञानी होते, तो उनकी एक आवाज़ पर समाज एकजुट होजाता। विपरीत समय को अपने अनुकूल बना लेने वाला ही साधक होता है। शंकराचार्य एक बार मानवता के कल्याण के लिए सामने तो आएं। मेरा पूरा जीवन महाशक्तियज्ञ के लिए, सनातनधर्म के उत्थान के लिए समर्पित है और मेरे लाखों स्वयंसेवी कार्यकर्ता समाजकल्याण के कार्य में लगे हुए हैं। भगवती मानव कल्याण संगठन ने इतने कम समय में मानवता के कल्याण के लिए जितना कार्य किया है, वह किसी अन्य संगठन के वश की बात नहीं है। जब बाबरी मस्जि़द का विध्वंश हुआ, तब भी मेरी वहाँ उपस्थिति थी और जब श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा होगी, तब भी मैं वहाँ उपस्थित रहूंगा। शंकराचार्य बताएं कि क्या उनका सूक्ष्मशरीर जाग्रत् है?
प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम से सभी लोग जुड़ें
22 जनवरी को भगवान् श्रीराम के नाम की एक-एक ज्योति अवश्य जलाएं। धीरे-धीरे अयोध्या का विकास और होता चला जायेगा और एकदिन ऐसा आयेगा, जब श्रीराम मंदिर की दीवारें स्वर्णजडि़त हो जायेंगी। प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम से सभी लोग जुड़ें और अपने-अपने घरों में श्रीरामचरितमानस का पाठ करें तथा समय मिलने पर अयोध्या अवश्य जाएं। मैंने भी अपने लाखों शिष्यों के साथ इसी वर्ष दिसम्बर माह में अयोध्या जाने का निर्णय लिया है।
वर्तमान में मोदी और योगी सरकारें बहुत अच्छा कार्य कर रहीं हैं। मैं एक बार फिर कहता हूँ कि प्राण-प्रतिष्ठा के लिए नरेन्द्र मोदी जी पूरी तरह उपयुक्त हैं। समस्त मानवसमाज को मैं पुन: अपना पूर्ण आशीर्वाद प्रदान करता हूँ।