संकल्प शक्ति। समूचे देश के साथ ही अध्यात्मिकस्थली पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम पर राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी को हर्षोल्लासपूर्वक मनाया गया। सिद्धाश्रमवासी और ‘माँ के भक्त, इस अवसर पर आयोजित ध्वजारोहण कार्यक्रम में पूरे उत्साह के साथ शामिल हुए।
अतिउत्साहपूर्वक सम्पन्न हुए इस पर्व पर सिद्धाश्रम में रहने वाले छात्र-छात्राओं और गुरुभाई-बहनों ने राष्ट्रगान के साथ ही देशभक्ति से परिपूर्ण भावगीत व स्वरचित काव्य की प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर सिद्धाश्रम पहुंचे गुरुभाई-बहनों, ‘माँ के भक्तों और सिद्धाश्रमवासियों ने प्रात:कालीन बेला में नित्यप्रति सम्पन्न होने वाले आरतीक्रम में सम्मिलित होने के उपरान्त, सद्गुरुदेव जी महाराज के श्रीचरणों में नतमस्तक होकर आशीर्वाद प्राप्त किया।
परम पूज्य गुरुवरश्री से आशीर्वाद प्राप्त करने के पश्चात् सभी प्रात: 07:45 बजे सिद्धाश्रम में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट की प्रधान न्यासी शक्तिस्वरूपा बहन सिद्धाश्रमरत्न ज्योति शुक्ला जी नेे तिरंगेध्वज का रोहण किया और इसके साथ ही कार्यक्रमस्थल पर उपस्थित गुरुभाई-बहनों व भक्तों के मुख से राष्ट्रगान जन-गण-मन अधिनायक जय हे…., की सुमधुर ध्वनि से वातावरण शांत, स्निग्ध और अतिमनभावन हो उठा।
राष्ट्रगान के उपरान्त, सिद्धाश्रमवासी छात्र-छात्राओं, बच्चों और गुरुभाई-बहनों ने देशभक्ति से परिपूर्ण गीत व कविताएं प्रस्तुत कीं, जिसके प्रारम्भिक अंश इस प्रकार हैं-
रामलाल कुशवाहा जी, दमोह- ये देश के अन्नदाता की बात है उसके अपमान की, कैसी दुर्दशा हो रही है भइया आज किसान की। मंगल सिंह जी, सिद्धाश्रम- ऐ वतन जिन्दगी पर, श्वास और धड़कनों पर कजऱ् तुम्हारा है। शिव चतुर्वेदी जी, सिद्धाश्रम- बलिदानियों का सपना तब सच हुआ, जब देश आज़ाद हुआ। सिद्धाश्रम चेतना अद्वैत जी- एक बराबर सबके लिए विधान हुआ था, सबके लिए लागू संविधान हुआ था। लक्ष्य विश्वकर्मा जी, सिद्धाश्रम- विनती सुन लो भगवान्, हम सब बालक हैं नादान। गगन विश्वकर्मा जी, दमोह- जियत रहें कि हम जाकर मरें, हमारी समझ में नहिं आवत कि क्या करें? श्वेता और महक जी, सिद्धाश्रम- लेकर अपने हाथ तिरंगा, जन-गण-मन हम गायेंगे। प्रतीक मिश्रा जी, सिद्धाश्रम- लहर-लहर लहराए हो, लहर-लहर लहराए मोरा झंडा तिरंगा। गोल्डी शुक्ला जी, सिद्धाश्रम- खुशी आज के दिन मनायेंगे हम,…। प्रकाशचन्द्र सोनी जी, सिद्धाश्रम- हे ज्योतिपुञ्ज हे ज्ञानपुञ्ज, सतयुग लाने का संकल्प लिया। कामिनी सिंह जी, सिद्धाश्रम- देश हमारा हमको प्यारा, इसमें है जाँ कुर्बान। गजेन्द्र सिंह साहू जी, पन्ना- हम भारत के वीर हमेशा वतन पर मिटते आए हैं। बाबूलाल विश्वकर्मा जी, दमोह- सिसक-सिसक कर रोए आत्मा, सैनिक वीर जवानों की। कैसी दशा बना दी तुमने मेरे हिन्दुस्तान की।।
भावगीतों की शृंखला समाप्त होने के बाद गणतंत्र दिवस समारोह की समापन बेला पर भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सिद्धाश्रमरत्न सौरभ द्विवेदी जी ने उपस्थित गुरुभाई-बहनों, छात्र-छात्राओं तथा समस्त देशवासियों को इस राष्ट्रीय पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि ”जब हमें स्वतंत्रता मिल गई, तब हमें ज़रूरत थी एक ऐसे विधान की, जिससे सभी को समान अधिकार मिल सके और 26 जनवरी 1950 को हमें वह संविधान के रूप में प्राप्त हुआ।
जैसा कि सर्वविदित है कि हमारे देश को सोने की चिडिय़ा कहा जाता था, लेकिन विदेशी आक्रांताओंं ने भारत आकर, यहाँ की सम्पत्ति को भरपूर लूटा और साथ ही जाति, धर्म व सम्प्रदायिकता का विष समाजिक समरसता में घोल दिया, जिससे यहाँ की एकता, प्रेम व भाईचारा, सबकुछ छिन्न-भिन्न हो गया। तथापि, ऐसे संविधान की आवश्यकता महसूस हुई, जिससे हम पुन: एकसूत्र में बंध सकें। आज स्थिति यह है कि पूरी दुनिया भारत की ओर निहार रही है और इस गणतंत्र दिवस पर्व पर हमें पुन: संकल्पित होना है कि हमारे संविधान में जो भी उल्लिखित है, उसे पूरी तरह से लागू करना है।
प्राचीनकाल में इस संविधान से भी बड़ा और उत्तम संविधान हमारे देश में लागू था। उपनिषदों मेें दर्शित है कि- ‘आत्मवत् सर्वभूतेषु। अर्थात् सभी प्राणियों को अपनी आत्मा के समान मानो। आज खुशी की बात है कि परमसत्ता माता आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की कृपा से अयोध्या में भगवान् श्रीराम की मूर्ति की स्थापना हो चुकी है और वह दिन दूर नहीं, जब पुन: हमारे देश में रामराज्य की स्थापना होगी, लेकिन इसके लिए परम पूज्य सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज की विचारधारा को अपनाना होगा, नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान्, चेतनावान्, पुरुषार्थी और परोपकारमय जीवन जीना होगा। चेतनावान् समाज के निर्माण के लिए गुरुवरश्री ने भगवती मानव कल्याण संगठन का गठन किया है और इस संगठन से सभी जाति, धर्म, सम्प्रदाय के लोग जुड़कर समाज व देश के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं।
अभी 23 जनवरी को यहाँ सिद्धाश्रम स्थापना दिवस मनाया गया और आज 26 जनवरी को हमें राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस मनाने का सौभाग्य मिला। यदि हमें समाज को, देश को उन्नति की ओर ले जाना है, तो सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी की विचारधारा के अनुरूप नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान्, चेतनावान्, पुरुषार्थी एवं परोपकारी समाज का निर्माण करना होगा और यदि हम यह कार्य कर रहे हैं, तो समझिए कि देश के संविधान के अनुरूप कार्य कर रहे हैं, देश की स्वतंत्रता के लिए मर-मिटने वाले वीर सेनानियों के सपनों का भारत बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं।
मिष्टान्न वितरण के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन हुआ। पूरे कार्यक्रम में सिद्धाश्रमरत्न अजय अवस्थी जी, सिद्धाश्रमरत्न रजत मिश्रा जी और सिद्धाश्रमरत्न आशीष शुक्ला (राजू भइया) जी की उपस्थिति विशेष रही। कार्यक्रम का संचालन भगवती मानव कल्याण संगठन के केन्द्रीय प्रवक्ता रमेशचन्द्र मिश्रा जी ने किया।