संकल्प शक्ति। समाज को नशे-मांसाहार व चरित्रहीनता से मुक्त कराने एवं मानवीय कर्तव्यों का बोध कराने के लिये ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के निर्देशन में भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट के द्वारा संयुक्त रूप से शक्ति चेतना जनजागरण शिविरों, धार्मिक अनुष्ठानों व नशामुक्ति जनजागरण सद्भावना यात्रा के माध्यम से करोड़ों परिवारों में माता भगवती की भक्तिरूपी दीप प्रज्ज्वलित करके सुख, शांति व समृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया गया है और यह अभियान निरन्तर गतिशील है। इसी क्रम में दिनांक 10-11 फरवरी 2024 को साइन्स कॉलेज ग्राउण्ड, सरकण्डा, जि़ला-बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में शक्ति चेतना जनजागरण शिविर का विशाल आयोजन किया जा रहा है। इस शिविर में लाखों लोग शामिल होकर अपने जीवन को सदमार्ग पर बढ़ाने के लिए अद्वितीय प्रेरणा प्राप्त करेंगे।
वेद-पुराणों, रामायण और गीता में धर्म-अध्यात्म व कर्मपथ पर बढऩे के लिये तरह-तरह के दृष्टांत दिये गये हैं, लेकिन उन भावों को ग्रहण करने के लिये पर्याप्त समय, गहन अध्ययन, विकसित मस्तिष्क और पवित्र विचारों की आवश्यकता है। ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने अपने शिष्यों को धर्म-अध्यात्म के क्षेत्र में ही नहीं, वरन् जीवन के सर्वांगीण विकास के लिये समस्त वेद-शास्त्रों का सार अपने चिन्तनों में समाहित करके समाज के सामने एक सशक्त विचारधारा के रूप में प्रदान किया है।
आप नित्यप्रति विचार करें कि मैं अपने विचारों को भटकने नहीं दूँगा और विचारों की उत्कृष्टता के लिए सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के अमोघ चिन्तन एवं उनकी जीवनी का अध्ययन करूँगा तथा स्वयं को उसी अनुरूप ढालने का प्रयास करूँगा। किसी के प्रति द्वेषभाव नहीं रखूँगा और अपना स्वभाव मधुर रखूँगा। कभी किसी की द्वेषपूर्ण आलोचना नहीं करूँगा और मेरे सामने जो भी समस्याएं आयेंगी, उन्हें धीरे-धीरे सुलझाने का प्रयास करूँगा तथा यह सोचकर मन को उद्विग्न नहीं होने दूँगा कि समस्याओं का निदान कैसे होगा? ये विचार ही आपकी समस्याओं के निदान और निर्भयता प्रदान करने वाले हैं।
प्रकृतिसत्ता माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी का अंश आत्मा के रूप में हमारे अंदर विद्यमान है और ‘माँ ‘ ने उस अनमोल अंश को रखने के लिये शरीररूपी अनमोल मंदिर दिया है, जिसके अन्दर निखिल ब्रह्माण्ड समाहित है। प्रकृति ने हमारे लिये ज्ञान का भंडार खोल रखा है, जिसे हम अपनी सामथ्र्यानुसार प्राप्त कर सकते हैं। फिर भी हम व्यथित हैं, नाना प्रकार की समस्याओं से ग्रसित हैं। आखिर क्यों? इसलिए कि हम योग-ध्यान-साधना में प्रवृत्त ही नहीं हो पा रहे हैं और हमारे विचार व कर्म ही शुद्ध व सात्विक नहीं हैं। जबकि, प्रकृतिसत्ता हमसे चाहती है कि हमारे विचार शुद्ध एवं सात्विक हों और कर्म साधना से परिपूर्ण हो।
ध्यान रखें; जीवन में जो भी चल रहा है, वह हमारी नकारात्मक और सकारात्मक सोच का परिणाम है। सकारात्मक सोच वाले तो लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते जा रहे हैं, जबकि नकारात्मक सोच वाले बहुत पीछे हैं। सकारात्मक सोच जहाँ शान्ति प्रदान करती है, वहीं लक्ष्य की ओर कदम आगे बढ़ते चले जाते हैं। अपने अन्दर दृढ़ विश्वास जाग्रत् करो, स्थायित्व धारण करो कि हम नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान् जीवन जिएंगे और जीवन के किसी भी मोड़ पर किसी के भी बहकावे में नहीं आएंगे। इससे आपकी व्यथा, आपका समस्याएं दूर होती चली जायेंगी और आप धर्म, राष्ट्र एवं मानवता के रक्षक बनेंगे।
ऋषिवर श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के हृदय की विशालता का आकलन करना सहज नहीं है। आपश्री अपने शिष्यों से कहते हैं कि ”तुम चाहे जहाँ रहो, मैं सदैव तुम्हारे साथ हूँ। मैं तुम्हारा रक्षाकवच हूँ, मैं तुम्हारे लिये ही जीता हूँ और अपनी अनुभूतियों का फल तुम्हें देता हूँ। तुम मेरे चेतना के अंश हो और मेरे हृदय में रहते हो। मेरी दृष्टि सदैव तुम्हारे ऊपर रहती है कि तुम्हारा उत्थान हो रहा है या नही! मैं सबकुछ देखता हूँ।
छत्तीसगढ़ के जि़ला-बिलासपुर में आयोजित द्विदिवसीय शक्ति चेतना जनजागरण शिविर में ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के चेतनात्मक चिन्तन, मार्गदर्शन, योग-ध्यान-साधना के क्रम, गुरुदीक्षा और दिव्य आरतियों का कार्यक्रम है। इसमें शामिल होकर आप अपने जीवन को अध्यात्मिक दिशा देने के साथ ही प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।