भोजपुर (बिहार)। सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के आशीर्वाद से भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट के संयुक्त तत्त्वावधान में दिनांक 2-3 मार्च 2024 को कुबेरनगर, डॉक बंगला के पीछे, बसस्टैण्ड के पास, पेरुआरा, जि़ला-भोजपुर (बिहार) में प्रान्तस्तरीय 24 घंटे का श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ सम्पन्न किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ ‘माँ’-गुरुवर के जयकारों व शंखनाद के साथ किया गया।
समापन अवसर पर इस दिव्य अनुष्ठान में उपस्थित जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए भगवती मानव कल्याण संगठन के केन्द्रीय महासचिव सिद्धाश्रमरत्न अजय अवस्थी जी ने कहा कि ”आज का दिन संकल्प लेने का दिन है। 24 घंटे का यह श्री दुर्गाचालीसा का अखण्ड पाठ कोई साधारण पाठ नहीं है, बल्कि इस दिव्य कार्यक्रम की ऊर्जा आपके जीवन में कोई भी परिवर्तन डाल सकती है।
माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा तो सबकुछ जानती हैं, फिर ‘माँ’ से क्या मांगना। ‘माँ’ से कुछ मांगा नहीं जाता कि हे माँ, मुझे ये दे दो, मुझे वो दे दो, मेरी समस्याएं दूर कर दो! ‘माँ’ से देवाधिदेव ब्रह्मा, बिष्णु, महेश भी कुछ नहीं मांगते। केवल आशीर्वाद की ही कामना करते हैं। आप लोग यहाँ इस दिव्य अनुष्ठान में आए हैं, तो अपने अवगुणों का त्याग करने का संकल्प लें। जो नशा करता है, वह नशे का त्याग करने का संकल्प लें, समस्त बुराइयों को त्यागने का संकल्प लेते हुए निवेदन करें कि हे माँ, यहाँ आपका अखण्ड गुणगान हुआ, अखण्ड ज्योति जल रही है और आपकी यहाँ सूक्ष्म उपस्थिति है तथा आज कृष्णपक्ष की अष्टमी, शक्ति साधना दिवस है।
इस पावन घड़ी में मैं संकल्प लेता हूँ/लेती हूँ कि आज के बाद मैं जीवनभर नशा नहीं करूँगा/करूँगी। अगर आपको क्रोध बहुत आता है और आपके अन्दर छल-कपट की भावना भरी हुई है, तो ‘माँ’ से आशीर्वाद मांगो कि हे माँ, मुझे क्रोध बहुत आता है, मेरे अन्दर छल-कपट बहुत है, इनके अलावा भी मेरे अन्दर बहुत सी बुराइयाँ हैं, जो धीरे-धीरे मुझे समाप्त कर रही हैं, इन सभी बुराइयों को मुझसे दूर करो। आप चाहो तो संकल्प लेकर अपनी समस्त बुराइयों को ‘माँ’ के चरणों में समर्पित कर सकते हो।
यदि भाव के साथ अपना कोई भी अवगुण ‘माँ’-गुरुवर के चरणों पर चढ़ा दिया और ‘माँ’ की स्तुति में अपने मन को रमा लिया, तो दुनिया की कोई ताकत नहीं कि आपको ‘माँ’ के आशीर्वाद से वंचित रख सके।”
उद्बोधनक्रम के पश्चात् कार्यक्रम में उपस्थित सभी भक्तों ने शक्तिजल और प्रसाद ग्रहण करके अपने जीवन को कृतार्थ किया।