Saturday, November 23, 2024
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चैत्र नवरात्र के पावन पर्व पर अध्यात्मिकस्थली पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में भक्तों का उमड़ा प्रवाह

संकल्प शक्ति। शक्ति आराधना के पर्व चैत्र नवरात्र के पावन अवसर पर शक्तिपीठ के रूप में स्थापित अध्यात्मिकस्थली पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में पहुँचने वाले माता आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा के भक्त और ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के शिष्यों में ‘माँ’-गुरुवर के प्रति अटूट भक्तिभावना परिलक्षित है। इस पावन पर्व की पूर्व संध्या 08 अप्रैल से ही सद्गुरुदेव जी महाराज के शिष्यों व ‘माँ’ के भक्तों का आवागमन प्रारम्भ हो गया है। सभी जहाँ, नित्यप्रति की तरह प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में स्नानादि के बाद अपनी चेतनाशक्ति को ऊध्र्वगामी बनाने के लिए ध्यान-साधना के क्रमों में प्रवृत्त हो रहे हैं, वहीं गुरुवरश्री के करकमलों से सम्पन्न होने वाली दिव्य आरतियों का अनुपम लाभ प्राप्त करके जीवन को धन्य बना रहे हैं।

चैत्र नवरात्र के प्रथम दिवस 09 अप्रैल 2024 की प्रात:कालीन बेला, श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ मंदिर में आरतीक्रम के पश्चात् परम पूज्य गुरुवरश्री ने मूलध्वज साधना मंदिर में नवीन शक्तिध्वजारोहण के पश्चात् ‘माँ’ की पूजा-अर्चना का क्रम सम्पन्न किया और भक्तों व शिष्यों के कल्याण की कामना को लेकर मंदिर के घंटे पर ‘माँ’ की चुनरी बाँधी। इस अवसर पर पूजनीया महातपस्विनी शक्तिमयी माता जी, शक्तिस्वरूपा बहनों और सिद्धाश्रम चेतनाओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

विदित हो कि प्रात:कालीन व सायंकालीन बेला में, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारणकर भक्तगण उत्साहपूर्वक मूलध्वज मंदिर में नित्यप्रति पहुंचकर शान्तिपूर्वक ‘माँ’-गुरुवर की दिव्य आरती तथा साधनात्मक क्रमों में शामिल होने के बाद क्रमबद्ध रूप से गुरुवरश्री के चरणों को नमन करते हुये आशीर्वाद प्राप्त करके पुण्यलाभ प्राप्त कर रहे हैं।

इस पावन पर्व का समापन दिनांक 17 अप्रैल, दिन बुधवार को नवमी तिथि पर हो रहा है। सुखद संयोग यह कि नवरात्र पर्व की सप्तमी तिथि (15 अप्रैल) को श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ की 27वीं वर्षगांठ है। यानि 15 अप्रैल 1997 से अनवरत अनन्तकाल के लिए चल रहे ‘माँ’ के गुणगान का यह क्रम 28वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है। श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ के वर्षगांठ उत्सव की परम पूज्य गुरुवरश्री के शिष्य पूरे वर्षभर प्रतीक्षा करते हैं। तो, इस बार तो ‘माँ’ और गुरुवर के प्रति शिष्यों-भक्तों में भक्ति की पराकाष्ठा अपने आपमें अद्वितीय होगी।

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