छतरपुर। जन-जन में माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की दिव्यचेतना का संचार करने और लोगों को मानवीय कत्र्तव्य का बोध कराने के लिए दिनांक 19-20 सितम्बर 2022 को भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट के संयुक्त तत्त्वावधान में; सरई रोड, नई गल्लामंंडी, जि़ला-छतरपुर (म. प्र.) में 24 घंटे का श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ कार्यक्रम भव्यतापूर्वक सम्पन्न किया गया।
समापन अवसर पर भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष शक्तिस्वरूपा बहन, सिद्धाश्रमरत्न संध्या शुक्ला जी ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा ”माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा ही हमारे आत्मा की मूल जननी हैं। जीवन में कुछ भी आसानी से नहीं मिलता, परिश्रम और संघर्ष करना पड़ता है, तब जाकर लक्ष्य की प्राप्ति होती है और यह भी ज़रूरी नहीं कि परिश्रम के द्वारा आप जो चाहते हैं, वह मिल ही जाए! जरा, सोचिए कि सदगुरु की प्राप्ति कैसे होती है? सदगुरु की प्राप्ति उसे ही होती है, जिसके ऊपर ‘माँ की कृपा होगी।
किसी विचारक ने कहा है कि ‘शीश दिए भी गुरु मिले, तो भी सस्ता जान। तो इस कलिकाल में यदि एक चेतनावान् सदगुरु मिल जाएं, तो ‘माँ की कृपा ही मानिए। आज ऐसे-ऐसे धर्माचार्य, धर्माधिकारी मिलेंगे, जो धर्माचरण भूल चुके हैं और केवल समाज का शोषण करना ही उनका लक्ष्य बनकर रह गया है। लेकिन, हमारा यह सौभाग्य है कि सद्गुरु के रूप में हमें परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज मिले हैं, जिन्होंने अपने आशीर्वाद, अपनी चेतनातरंगों के माध्यम से लाखों लोगों का जीवन बदल दिया है, ऐसे-ऐसे लोगों के जीवन में परिवर्तन किया गया है, जो पतन की ओर अग्रसर थे और आज सत्य की यात्रा तय कर रहे हैं। यदि वास्तव में सत्य को प्राप्त करना है, तो तीन कत्र्तव्यों का पालन करें और वे कत्र्तव्य हैं-मानवता की सेवा, धर्म की रक्षा और राष्ट्र की रक्षा करना। जहाँ पर भी अनीति-अन्याय-अधर्म हो रहा हो, उसके विरुद्ध पूरजोर आवाज़ उठाएं। भगवती मानव कल्याण संगठन दिव्य अनुष्ठानों के माध्यम से लोगों के जीवन में चेतना का संचार करते हुए, इस दिशा में संकल्पबद्ध होकर कार्य कर रहा है, तो आइए इस अभियान में आप सभी का आवाहन है।
मानवीय कर्त्तव्य को पूरा करने की दिशा में सक्रियता के साथ आगे बढऩा है: आशीष शुक्ला
भगवती मानव कल्याण संगठन के केन्द्रीय मुख्य सचिव सिद्धाश्रमरत्न आशीष शुक्ला (राजू भइया) ने उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए सारगर्भित शब्दों में कहा ”परम पूज्य गुरुवरश्री का संदेश है कि ‘आपको निष्कृय सज्जन नहीं, बल्कि सक्रिय सज्जन बनना है। सज्जन तो आप लोग हैं ही, लेकिन अपने मानवीय कर्त्तव्य को पूरा करने की दिशा में आप सभी को सक्रियता के साथ आगे बढऩा है। गुरुवर का कहना है कि ‘मैं अपनी चेतनातरंगों के माध्यम से कार्य करता हूँ और चेतनातरंगों के माध्यम से अपने शिष्यों को जहाँ धर्मवान और कर्मवान बना रहा हूँ, वहीं उनकी समस्याओं के निदान हेतु पथ भी प्रशस्त किया जाता है।
गुरुवरश्री का कथन है कि ‘सूर्य की किरणों को रोका जा सकता है, लेकिन मेरी चेतनातरंगों को रोकने की क्षमता किसी के पास नहीं है। यदि वास्तव में आप अपने आपको साधक मानते हैं, तो अपने हृदय में झाँककर देखिये, तो पायेंगे कि गुरुवर ने आपको ज्ञान दिया है। आपको दिया है श्री दुर्गाचालीसा पाठ का ज्ञान, आपको ‘माँ जैसे सशक्त बीजमंत्र का ज्ञान कराया है, जिसके माध्यम से आप अपने जीवन को स्वर्णिम बना सकते हैं।