नई दिल्ली। भारत सरकार ने जुलाई 2022 से पालिथीन के थैले के उपयोग पर पूर्णत: प्रतिबन्ध लगा दिया है, क्योंकि इनका उपयोग पर्यावरण के लिए ख़्ातरनाक है। लेकिन, प्रसन्नता का विषय यह है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के एक प्रोफेसर ने प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाले पालिथीन के थैले बनाने की प्रौद्योगिकी विकसित की है।
आइआइटी रुड़की के रासायनिक अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफेसर पीपी कुंडू पालिमर प्रौद्योगिकी के विषय विशेषज्ञ हैं। उन्होंने एक’थर्मोप्लास्टिक स्टार्चÓ विकसित किया है, जिसे एलडीपीई ‘बायोडिग्रेडेबलÓ (प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाली) बनाने के लिए कम घनत्व पालिथीन (एलडीपीई) के साथ मिश्रित किया जाएगा।
आइआइटी रुड़की ने प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाले पालिथीन के थैले का बड़ी मात्रा में निर्माण करने के लिए इस प्रौद्योगिकी को नोएडा स्थित अग्रसार इनोवेटिव्स एलएलपी को हस्तांतरित कर दिया है। फर्म बड़ी मात्रा में इस तरह के पालिथीन के थैले के निर्माण के लिए वर्तमान प्रौद्योगिकी का व्यावसायिक उपयोग करेगी। पालीबैग पर प्रतिबंध को देखते हुए देश में ऐसी प्रौद्योगिकी काफी काम की साबित हो सकती है।भारत सरकार ने पालिथीन के थैले के
उपयोग पर लगाया पूर्ण प्रतिबंध
पट्टी- प्राकृतिक रूप से पालिथीन थैलों के नष्ट होने की प्रौद्योगिकी हुई विकसित
नई दिल्ली। भारत सरकार ने जुलाई 2022 से पालिथीन के थैले के उपयोग पर पूर्णत: प्रतिबन्ध लगा दिया है, क्योंकि इनका उपयोग पर्यावरण के लिए ख़्ातरनाक है। लेकिन, प्रसन्नता का विषय यह है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के एक प्रोफेसर ने प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाले पालिथीन के थैले बनाने की प्रौद्योगिकी विकसित की है।
आइआइटी रुड़की के रासायनिक अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफेसर पीपी कुंडू पालिमर प्रौद्योगिकी के विषय विशेषज्ञ हैं। उन्होंने एक’थर्मोप्लास्टिक स्टार्चÓ विकसित किया है, जिसे एलडीपीई ‘बायोडिग्रेडेबलÓ (प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाली) बनाने के लिए कम घनत्व पालिथीन (एलडीपीई) के साथ मिश्रित किया जाएगा।
आइआइटी रुड़की ने प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाले पालिथीन के थैले का बड़ी मात्रा में निर्माण करने के लिए इस प्रौद्योगिकी को नोएडा स्थित अग्रसार इनोवेटिव्स एलएलपी को हस्तांतरित कर दिया है। फर्म बड़ी मात्रा में इस तरह के पालिथीन के थैले के निर्माण के लिए वर्तमान प्रौद्योगिकी का व्यावसायिक उपयोग करेगी। पालीबैग पर प्रतिबंध को देखते हुए देश में ऐसी प्रौद्योगिकी काफी काम की साबित हो सकती है।