Sunday, November 24, 2024
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हर वर्ष 10 दिसम्बर को मनाया जाता है मानवाधिकार दिवस?

समूचे विश्व में प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2022 की थीम- ‘समानता-असमानताओं को कम करना व मानवाधिकारों को आगे बढ़ाना है।

इतिहास

संयुक्त राष्ट्र ने 10 दिसंबर, 1948 को विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी कर प्रथम बार मानवों के अधिकार के बारे में बात रखी थी और इस दिन की घोषणा 1950 में हुई। इस दिन अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाने के लिए असेंबली ने सभी देशों को आमंत्रित किया, जिसके बाद असेंबली ने 423 (ङ्क) रेज़्योलुशन पास कर सभी देशों और संबंधित संगठनों को इस दिन को मनाने की सूचना जारी की थी। मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा 500 से ज़्यादा भाषाओं में उपलब्ध हैं। वहीं, भारत में 28 सितंबर 1993 से मानव अधिकार $कानून अमल में लाया गया था और 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर 1948 को घोषणापत्र को मान्यता दिए जाने पर 10 दिसंबर का दिन मानवाधिकार दिवस के लिए निश्चित किया गया।

भारत में मानवाधिकार

भारत में 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया, जिसके बाद से मानवाधिकार आयोग राजनीतिक, आर्थिक, समाजिक और संस्कृति के कार्य क्षेत्रों में भी काम करता है। जैसे मज़दूरी, हेल्थ, बाल विवाह, महिला अधिकार। मानवाधिकार आयोग का काम अधिक से अधिक लोगों को उनके अधिकारों के प्रति ज़ागरूक करना है। हालांकि भारत में अगर मानवाधिकारों की बात की जाए, तो यह साफ है कि आज भी बहुत सारे लोगों को मानवाधिकार के बारे में जानकारी ही नहीं है, जबकि वे उनके ख़्ाुद के अधिकार हैं। पिछड़े हुए राज्यों एवं गांवों में जहां साक्षरता का स्तर थोड़ा कम है, वहां मानवाधिकारों का हनन होना आम बात है। ऐसे इलाकों में जिन लोगों के पास ता$कत है, वे इनका पालन नहीं करते और सामान्य लोगों पर दबाव बनाते हैं। शहरों में जिन लोगों को मानवाधिकारों की जानकारी, वे इका $गलत फायदा भी उठा लेते हैं।

भारत में नागरिकों के मूल अधिकार

  1. समता या समानता का अधिका (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद18)
  2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
  5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)
  6. संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 32)।

भारत के नागरिकों के मौलिक कर्तव्य

  1. देश के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं का आदर करे। 2. राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे। 3. देश की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्य रखे। 4. अपनी पूरी क्षमता से देश की रक्षा करे। 5. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे। 6. हमारी समाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्त्व समझे और उसका निर्माण करे। 7. प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन करे। 8. नागरिक अपने अंदर वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का विकास करे। 9. नागरिक सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें। 10. सामूहिक एवं व्यक्तिगत गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढऩे का सतत प्रयास करे। 11. 6 से 14 वर्ष के बच्चों को माता-पिता या संरक्षक द्वारा प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना (86वां संशोधन) है।

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