नई दिल्ली। अगस्त माह में देश के कई राज्यों में हुई व हो रही तीव्र बारिश से आमजनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। अधिकांश स्थानों पर बाढ़ आ गई है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात से लेकर आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र तक में स्थिति अत्यन्त चिन्ताजनक है। लाखों लोग बेघर हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में तो मूसलाधार बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने जनजीवन को असुरक्षित कर दिया है। पहाड़ धंसने, चट्टाने गिरने, पुल ढह जाने और मलबे से रास्ते अवरुद्ध होने से संकट गहरा गया है। हिमाचल प्रदेश में इस साल जून से लेकर अब तक करीब पांच सौ लोग वर्षा-जनित हादसों में मारे जा चुके हैं।
उत्तराखंड में भी हालात भी अतिचिन्तजनक है। नदियां पूरे उफान पर हैं। ग्रामीण भी ख़्ाराब है, क्योंकि वहां ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से पैदा होने वाले हालात से निपटने के पर्याप्त व्यवस्था नहीं होती। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत अधिक क्षति देखने को मिलती है। खेत डूब जाते हैं, फसले बरबाद होजाती हैं, बड़ी संख्या में मवेशी बह जाते हैं और बिजली गिरने जैसी घटनाओं में लोग असमय ही मौत के शिकार होजाते हैं। ऐसी स्थिति हर वर्ष उत्पन्न होती है।
मौसम विभाग का कहना है कि लगभग एक सौ बीस साल के बाद इस साल वर्षाचक्र में बहुत बदलाव परिलक्षित है। कहीं बहुत अधिक वर्षा, तो कहीं बिल्कुल भी नहीं। इसका प्रभाव यह पड़ा कि गंगा के चार बड़े मैदानी राज्यों उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में एक जून से बीस अगस्त तक सबसे कम बारिश हुई और इन राज्यों के बड़े हिस्से में सूखे के हालात बन गए हैं और जहां बारिश हुई है वहां इतनी हुई है कि जिसकी कोई सीमा नहीं रही।