नरसिंहपुर। ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का 98 वर्ष की आयु में रविवार को निधन हो गया। उन्होंने रविवार को नरसिंहपुर के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में दोपहर03:30 बजे अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। सोमवार को लगभग चार बजे परमहंसी गंगा आश्रम में ही उन्हें समाधि दी गई।
कैसे देते हैं साधुओं को भू-समाधि?
शैव, नाथ, दशनामी, अघोर और शाक्त परम्परा के साधु-संतों को भू-समाधि दी जाती है। पद्मासन या सिद्धि आसन की मुद्रा में बैठाकर भूमि में समाधि दी जाती है। अक्सर यह समाधि संतों को उनके गुरु की समाधि के पास या मठ में दी जाती है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को भी भू-समाधि उनके आश्रम में दी गई।