संकल्प शक्ति। पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम के स्थापना दिवस 23 जनवरी के पावन अवसर पर सिद्धाश्रम पहुंचे, सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के शिष्यों और ‘माँ’ के भक्तों में उत्साह का पारावार न था।
सिद्धाश्रम पहुँचने वालों का सिलसिला एक दिन पहले 22 जनवरी से ही प्रारम्भ हो गया था। स्थापना दिवस पर सभी लोग प्रात:कालीन बेला में मूलध्वज साधना मंदिर पहुंचे और दिव्य साधनाक्रमों व आरती का लाभ प्राप्त किया। तत्पश्चात् 06:30 बजे श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ मंदिर में आरतीक्रम के बाद 07:00 बजे मूलध्वज साधना मंदिर में शक्तिध्वजारोहण एवं परम पूज्य गुरुवरश्री ने ‘माँ’ की पूजा-अर्चना का क्रम सम्पन्न किया और मंदिर में चुनरी बांधी। इस अवसर पर पूजनीया शक्तिमयी माता जी, शक्तिस्वरूपा बहन पूजा दीदी जी, संध्या दीदी जी और ज्योति दीदी जी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। मूलध्वज साधना मंदिर में पूजनक्रम के पश्चात् सभी भक्तों ने क्रमबद्ध रूप से गुरुवरश्री के चरणों को नमन करते हुये आशीर्वाद प्राप्त किया।
ज्ञातव्य है कि पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम की स्थापना को 26 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं और इस दिव्यधाम की स्थापना दिवस के गौरवशाली अवसर पर भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट के संयुक्त तत्त्वावधान में प्रतिवर्ष 23 जनवरी को विविध मनभावन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के आशीर्वाद से सिद्धाश्रम स्थापना दिवस पर बच्चों व युवाओं के स्वास्थ्य एवं चेतनात्मक शक्ति के विकास के लिये सिद्धाश्रम में खेलकूद व गीत-संगीत के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इतना ही नहीं, योगभारती विवाह पद्धति से आडम्बरमुक्त सामूहिक विवाह कार्यक्रम भी विधि-विधान के साथ सम्पन्न कराया जाता है।
दौड़ प्रतियोगिता प्रारम्भ होने से पूर्व दर्शकदीर्घा में बैठे जनसमुदाय को आशीर्वाद प्रदान करते हुए परम पूज्य गुरुवरश्री ने कहा कि ”आज से 26 वर्ष पूर्व आज ही के दिन इस पवित्र स्थल पर एक क्रम प्रारम्भ किया गया था और तब से विश्व की मानवता के कल्याणार्थ ऊर्जा का प्रवाह निरन्तर गतिमान है। इस सिद्धाश्रम धाम से तप, त्याग और पुरुषार्थ की चेतनातरंगें सतत प्रवाहित होती रहती हैं। यहाँ का कण-कण, हर पल मानवता के कल्याण के लिए दिव्यऊर्जा बिखेरता रहता है। सिद्धाश्रम स्थापना दिवस पर कुछ क्रम रखे गए हैं, जिनमें अखिल भारतीय सिद्धाश्रम दौड़ प्रतियोगिता, योगभारती सामूहिक विवाह कार्यक्रम और सुर-संध्या एवं कविसम्मेलन शामिल हैं। साथ ही ध्यान-साधना, पूजन-आरती के नित्यप्रति के क्रम चलते रहते हैं।
अखिल भारतीय सिद्धाश्रम दौड़ प्रतियोगिता
सिद्धाश्रम स्थापना दिवस के पावन अवसर पर पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में सम्पन्न विविध कार्यक्रमों में प्रात: 09:00 बजे से भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित दशम अखिल भारतीय सिद्धाश्रम दौड़ प्रतियोगिता कार्यक्रम में संंगठन की विभिन्न शाखाओं से पहुंचे सैकड़ों प्रतिभागियों और आश्रम में निवासरत बालक-बालिकाओं ने हिस्सा लिया।
प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त विजेता प्रतिभागियों को शक्तिस्वरूपा बहन पूजा, संध्या व ज्योति दीदी जी ने क्रमश: विजेता मेडल, प्रमाणपत्र व पुरस्कार राशि प्रदान की।
दिनांक 23 जनवरी 2023 को 27वें सिद्धाश्रम स्थापना दिवस के पावन अवसर पर आयोजित ‘अखिल भारतीय सिद्धाश्रम दौड़ प्रतियोगिता का शुभारम्भ ‘माँ’-गुरुवर के जयकारों के साथ हुआ। इसमें बालिका और बालक आयु वर्ग 05 से 10 वर्ष से कम के विजेता प्रतिभागियों को 100 मीटर की दौड़ में प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार क्रमश: कु. मनीषा रैकवार पुत्री शिवलाल रैकवार, निवासी-सिद्धाश्रम, तह.-ब्यौहारी, जि़ला-शहडोल (म.प्र.), अमन पटेल पुत्र गंगा प्रसाद पटेल, निवासी ग्राम-पैकनिया, तह.-रामपुुर नैकिन, जि़ला-सीधी (म.प्र.) को पच्चीस-पच्चीस सौ रुपए, कु. आराध्या शुक्ला पुत्री सिद्धाश्रमरत्न आशीष शुक्ला, निवासी-सिद्धाश्रम, तह.-ब्यौहारी, जि़ला-शहडोल, अर्थव कुमार पाण्डेय पुत्र सानतन कुमार पाण्डेय, निवासी-कैंट मानेवशाह इन्क्लेव, जि़ला-जबलपुर (म.प्र.) को दो-दो हज़ार रुपए, कु. विधी विश्वकर्मा पुत्री वृन्दावन विश्वकर्मा, निवासी ग्राम-बुदरी, तह.-सोहागपुर, जि़ला-शहडोल (म.प्र.), निखिल गुप्ता पुत्र कृष्ण कुमार गुप्ता, निवासी ग्राम-कल्याणपुर, जि़ला-शहडोल (म.प्र.) को पन्द्रह-पन्द्रह सौ रुपए नकद पुरस्कार, प्रमाणपत्र व विजेता मेडल प्रदान किये गये।
बालक-बालिका 10 से 16 वर्ष से कम आयु वर्ग के विजेता प्रतिभागियों को 200 मीटर की दौड़ में प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार क्रमश: कु. प्राची पटेल पुत्री गंगा पटेल, निवासी ग्राम- पैकनिया, तह.-रामपुर नैकिन, जि़ला-सीधी (म.प्र.), राजेश कुमार पोद्दार पुत्र कृत्यानन्द पोद्दार, निवासी-वार्ड क्र.-6, जमुना कॉलरी हरद, जि़ला-अनूपपुर (म.प्र.) को पैंतीस-पैंतीस सौ रुपए, कु. काजल विश्वकर्मा पुत्री बलराम विश्वकर्मा, निवासी-सिद्धाश्रम, तह.-ब्यौहारी, जि़ला-शहडोल, आदित्य गुप्ता पुत्र विनोद कुमार गुप्ता, निवासी-एम.आई.जी. 350, भारत नगर (म.प्र.) को पच्चीस-पच्चीस सौ रुपए, कु. आकांक्षा गुप्ता पुत्री गुरु प्रसाद गुप्ता, निवासी ग्राम-न्यू बरौंधा, तह.-ब्यौहारी, जि़ला-शहडोल (म.प्र.), अरुण कुमार पासवान पुत्र रामप्रकाश पासवान, निवासी ग्राम-जमुना कोलियारी हरड, जि़ला-अनूपपुर (म.प्र.) को दो-दो हज़ार रुपए नकद पुरस्कार, प्रमाणपत्र व विजेता मेडल प्रदान किये गये।
बालक-बालिका 16 से 40 वर्ष से कम आयु वर्ग के विजेता प्रतिभागियों को 300 मीटर की दौड़ में प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार क्रमश: दुर्गा सेन पुत्री संतोष सेन, निवासी-आदर्श नगर, नई बस्ती, जि़ला-सतना (म.प्र.), बृजेश सिंह पुत्र महाराज सिंह, निवासी-आदर्श नगर, नई बस्ती, जि़ला-सतना (म.प्र.) को छह-छह हज़ार रुपए, कु. उमावती कुशवाहा पुत्री मोतीलाल कुशवाहा, निवासी ग्राम-परसवार, जि़ला-सीधी (म.प्र.), प्रद्युम्रचन्द्र आदिवासी पुत्र रामभवन आदिवासी, निवासी ग्राम-बसघई, तह.-बारा, जि़ला-प्रयागराज (उ.प्र.) को चार-चार हज़ार रुपए और कु. अर्जना कुशवाहा पुत्री वृहस्पति कुशवाहा, निवासी ग्राम-परसवार, जि़ला-सीधी (म.प्र.), आकाश यादव पुत्र राजकुमार यादव, निवासी ग्राम-जमुना कॉलरी, जि़ला-अनूपपुर (म.प्र.) को तीन-तीन हज़ार रुपए नकद पुरस्कार, प्रमाणपत्र व विजेता मेडल प्रदान किये गये।
सामूहिक योगभारती विवाह 09 नवयुगल परिणयसूत्र में बंधे
सिद्धाश्रम स्थापना दिवस के पावन अवसर पर परम पूज्य गुरुवरश्री के आशीर्वादस्वरूप मूलध्वज साधना मंदिर में योगभारती विवाह पद्धति से विधि-विधान के साथ चौबीसवां वैवाहिक कार्यक्रम, हर्षोल्लास से परिपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। इसमें 09 नवयुगलों ने अपने माता-पिता एवं परिजनों की सहमति से परिणयसूत्र में बंधकर आजीवन साथ निभाने का वचन एक-दूसरे को दिया।
सभी नवयुगलों ने सर्वप्रथम दाहिने हाथ में संकल्प सामग्री लेकर माता भगवती, परम पूज्य गुरुवरश्री एवं उपस्थित जनसमुदाय को साक्षी मानकर एक-दूसरे को पति-पत्नी के रूप में वरण करने का संकल्प किया। तत्पश्चात्, एक-दूसरे को माल्यार्पण करते हुये सभी ने गठबन्धन, मंगलसूत्र एवं सिन्दूर समर्पण की रस्में पूर्ण कीं। तदुपरान्त नवयुगलों ने पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश, वायु तत्त्व एवं दृश्य तथा अदृश्य जगत् की स्थापित समस्त शक्तियों को साक्षी मानकर सात फेरे लगाये और आजीवन साथ निभाने का संकल्प लिया। उपर्युक्त कार्यक्रम में शक्तिस्वरूपा बहनों ने सभी नवयुगलों का गठबंधन किया एवं उपहार प्रदान करके सभी को अपना स्नेह एवं आशीर्वाद प्रदान किया। विवाह सम्पन्न होने के बाद आरतीक्रम सम्पन्न किया गया तथा सायंकालीन बेला में सभी नवयुगलों ने परम पूज्य गुरुवरश्री का चरणवन्दन करके सुखद दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया।
विदित हो कि ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने भगवती मानव कल्याण संगठन के लाखों कार्यकर्ताओं को नशामुक्त व मांसाहारमुक्त जीवन जीने, चरित्रवान् व चेतनावान् बनने, समतामूलक समाज की स्थापना, मानवता की सेवा, धर्म और राष्ट्र की रक्षा का संकल्प दिलाया है।
योगभारती पद्धति से विवाह सम्पन्न कराने में जहां फजूलखर्ची नहीं होती, वहीं वरपक्ष की तरह ही कन्यापक्ष को भी बराबर का सम्मान मिलता है। वर्तमान समय में समाज के बीच जिस तरह वैवाहिक कार्यक्रमों में फजूलखर्ची हावी है, उससे कन्यापक्ष को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसीलिये दहेजप्रथा रूपी दानव तथा फिजूलखर्च से परे हटकर, सद्गुरुदेव जी के आशीर्वाद से हर वर्ष नवयुगलों का विवाह सिद्धाश्रम स्थापना दिवस पर सम्पन्न करवाया जाता है। स्थापना दिवस पर जिन नवयुगलों का शुभ विवाह सम्पन्न हुआ, उनके नाम इस प्रकार से हैं-
विवेक मिश्र संग अंजली अवस्थी, दीपक पटेल संग हेमवती पटेल, विशाल श्रीवास्तव संग नैनश्री श्रीवास्तव, अनूप कुमार दीक्षित संग रुचि पाण्डेय, कामेश्वर संग रोशनी देवी, परमसुख प्रजापति संग सविता प्रजापति, वासुदेव साहू संग रेनू साहू, बृजपाल पनिका संग हीना पनिका व हरिओम महाराज संग रेखादेवी।
सुर-सध्या एवं कविसम्मेलन
सिद्धाश्रम स्थापना दिवस पर आयोजित दशम अखिल भारतीय ‘सिद्धाश्रम सुर-संध्या एवं कविसम्मेलन’ 2023 में शामिल प्रतिभाओं के साथ ही श्रोताओं से, कार्यक्रम स्थल (प्रणामभवन का विशाल कक्ष) भरा हुआ था। सभी ने भक्तिरस से परिपूर्ण गीत-संगीत और ओज से परिपूर्ण काव्यपाठ का आनंद रात्रि 07:30 बजे से 09.00 बजे तक उठाया। इस अवसर पर शक्तिस्वरूपा बहन सिद्धाश्रमरत्न संध्या शुक्ला जी और ज्योति शुक्ला जी ने मंचासीन रहकर कवियों व गायकों का उत्साहवर्धन किया।
सद्गुरुदेव जी के शिष्यों में से गीत-संगीत व साहित्य में अभिरुचि रखने वाले सदस्यों ने भक्तिरस से परिपूर्ण भावगीत व काव्यपाठ प्रस्तुत किए, जिनमें से प्रारम्भिक पंक्तियां इस प्रकार हैं:- सर्वप्रथम, बिहार की अल्का जी ने भावपूर्ण गीत प्रस्तुत करके भक्तों को भक्तिरस से ओतप्रोत कर दिया- मेरा कोई न सहारा बिन तेरे, गुरुदेव संविरया मेरे।
रमा सोनी जी, मऊगंज- द्वार तुम्हारा अमर रहे माँ, याद करो ये जहाँ…। लक्ष्मीनारायण शिवहरे जी, कानपुर- मेरी मइया के चरणों का सहारा मिल गया होता,…। प्रकाशचन्द्र सोनी जी, सिद्धाश्रम- गुरुवर अपने चरणों में देना स्थान सदा,…। कमला यादव जी, कानपुर- जलत भई जोतिया तुम्हारी माई,…। प्रीति सोनी जी, जबलपुर- गुरुचरणों में समर्पित ये मेरा जीवन है,…। प्रतीक मिश्रा जी, कानपुर- ऋषिवर दयालु करुणाकर संगम नगरी में आयेंगे,…।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए भगवती मानव कल्याण संगठन के केन्द्रीय प्रचारमंत्री वीरेन्द्र दीक्षित जी के द्वारा प्रस्तुत किया गया भावसुमन- सच का पैगाम मिला है जबसे, झूठ के बादशाह बौखलाए हैं। भुवनेश्वर जी, कोरिया-चिरमिरी- तेरे पायल की धुन सुनकर मैं तेरे दर पर आया हूँ, हे अम्बे हे जगदम्बे मैं तेरे दर पर आया हूँ। रामलाल कुशवाहा जी, दमोह- हम सत्यधर्म के धर्मयोद्धा, सदा आगे कदम बढ़ायेंगे। नरेश जी, दमोह- सिद्धाश्रम धाम चलो भईया, गुरु के धाम जाना है। आशीष गोस्वामी जी, कानपुर- हम तो जहाँ में कहाँ नाथ जाते, द्वार तुम्हारा गुरुवर न पाते। बाबूलाल विश्वकर्मा जी, दमोह- माँ की ममता, गुरुकृपा सावन की झड़ी आ गई। तो फिर सिद्धाश्रम स्थापना की घड़ी आ गई।। नेहा योगभारती जी, सिद्धाश्रम- गुरुवर कहते मन की छोड़ो, बस आत्मा की आवाज़ सुनो। कोमल यादव जी, जबेरा- कण-कण के तुम जाननहारे, हे गुरुवर हम दास तुम्हारे। संजय सिंह, दमोह- गुरुवर तेरी कृपा से जीवन संवर रहा है,…। अंत में एक बार पुन: गीत गायक बाबूलाल विश्वकर्मा जी, दमोह ने सिद्धाश्रम की महिमा में गीत प्रस्तुत करके सबका मन मोह लिया- इस शापित अँधियारी में भी कैसे हुआ उजाला है?, अँधियारी से सिद्धाश्रम का सफर बड़ा ही निराला है।
इस आयोजन में उपस्थित सभी श्रोतागण कार्यक्रम की समाप्ति तक गीत-संगीत व काव्य पाठ श्रवण करते रहे और उन्हें ठंड का अहसास तक नहीं हुआ।