नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को लेकर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की टिप्पणियों पर पूर्व केंद्रीय मंत्री करण सिंह ने पलटवार किया है। जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को लेकर करण सिंह के एक लेख पर जयराम रमेश ने कुछ टिप्पणी की थी। इसे लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस नेता पर इतिहास की सिलेक्टिव रीडिंग के आधार पर टिप्पणी करने का आरोप लगाया है।
करण सिंह ने कहा कि उनके पिता महाराजा हरि सिंह द्वारा भारत के साथ विलय के एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने से पहले और बाद की घटनाओं के वह अंतिम जीवित चश्मदीद गवाह हैं। उन्होंने कहा, जयराम रमेश ने 3 नवंबर को द हिंदुस्तान टाइम्स में मेरे लेख पर एक बयान दिया। उन्होंने दो बिंदु उठाए हैं और दोनों ही अस्वीकार्य हैं। मुझे उम्मीद थी कि मेरे विचारों को उस भावना से समझा जाएगा, जिस भावना से मैंने उन्हें लिखा था, ना कि इसलिए कि यह गलत टिप्पणियों का विषय बन जाए।
गौरतलब है कि केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू ने एक लेख में कश्मीर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की 05 भूलों को लेकर एक लेख लिखा था। न्यूज18 पोर्टल द्वारा प्रकाशित कश्मीर पर पांच नेहरूवादी भूलों पर अपने लेख में, रिजिजू ने आरोप लगाया कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपने व्यक्तिगत एजेंडे को पूरा करने के लिए जम्मू-कश्मीर के विलय को लेकर समस्याएं पैदा कीं। रिजिजू ने यह भी दावा किया कि महाराजा हरि सिंह स्वतंत्रता से बहुत पहले ही भारत में शामिल होने के लिए तैयार थे।
इसके बाद जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को लेकर महाराजा हरि सिंह की भूमिका को लेकर करण सिंह ने एक लेख लिखा। हिंदुस्तान टाइम्स में करण सिंह ने अपने लेख में उस समय की परिस्थितियों का जिक्र किया और कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि उनके पिता 15 अगस्त से पहले भारत में शामिल होने के लिए तैयार थे। हां, यह हो सकता है कि जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन उप प्रधानमंत्री रामलाल बत्रा ने दिल्ली में किसी से अनौपचारिक रूप से बात की हो।
उन्होंने 26 अक्टूबर, 1947 में अपने पिता द्वारा लॉर्ड माउंटबेटन को दिए गए एक कवरिंग लेटर का हवाला देते हुए कहा कि, महाराजा हरि सिंह यह तय करने के लिए समय लेना चाहते थे कि उन्हें किस अधिराज्य में शामिल होना चाहिए। उन्होंने अपने लेख में लिखा कि पत्र में इस बात के कोई संकेत नहीं थे कि उस दौरान नेहरू ने कहा था कि कश्मीर के महाराजा और उनकी सरकार भारत में विलय करना चाहते थे और इसके संकेत भी मिलते थे, लेकिन उस समय ऐसा नहीं था।
करण सिंह के लेख पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर पर ऐसा कोई विद्वतापूर्ण और गंभीर अध्ययन नहीं आया है, जो महाराजा हरि सिंह को अच्छी भूमिका में प्रदर्शित करे। उन्होंने कहा, मुझे इससे हैरानी होती है कि डॉक्टर करण सिंह ने नेहरू पर रिजिजू के निशाने साधे जाने के बाद नेहरू का बचाव नहीं किया। उन्हीं नेहरू के समर्थन के बिना करण सिंह वह सब हासिल नहीं कर सकते थे, जो उन्होंने किया। इसे उन्होंने 2006 में आई अपनी पुस्तक में स्वीकार किया था।