विश्व पर्यावरण दिवस– 05 जून 1972 को पहला पर्यावरण सम्मेलन मनाया गया, जिसमें 119 देशों ने भाग लिया। पहला विश्व पर्यावरण सम्मेलन स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में मनाया गया था। इसी दिन यहाँ पर दुनिया का पहला पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें भारत की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भाग लिया था। इस सम्मेलन के दौरान ही संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की भी नींव पड़ी थी। जिसके चलते हर साल विश्व पर्यावरण दिवस के आयोजन का संकल्प लिया गया। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा नागरिकों को पर्यावरण प्रदूषण से अवगत कराने तथा पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने के लिए 19 नवंबर 1986 में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया। 05 जून 1972 से लेकर 05 जून 2021 तक इस दिवस को 47 वर्ष हो गए हैं और 05 जून 2022 को 48 वर्ष हो जायेंगे। उम्मीद है कि आगे भी यह दिवस मनाया जाता रहेगा।
पर्यावरण में पेड़-पौधे, जीव-जंतु आदि मुख्य भूमिका निभाते हैं, इसलिए इस दिन तो नागरिकों के द्वारा पूरे पेड़-पौधे लगाना ही चाहिए तथा उनके सुरक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए। वर्ष 1974 में पहली बार केवल एक पृथ्वी के नारे के साथ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था। पर्यावरण प्रदूषण, तापमान में वृद्धि, ग्लोबल वार्मिंग, वनों की कटाई आदि को दूर करने या रोक लगाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
क्यों ज़रूरी है पर्यावरण दिवस मनाना
आज के समय में पर्यावरण असंतुलित हो गया है। बढ़ती आबादी, औद्योगीकरण, प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल आदि पर रोक लगाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। तापमान चिंतित स्तर पर बढ़ रहा है, जिससे ग्लेशियर पिघलने से समुद्र में पानी बढ़ रहा है और बाढ़ आ रही है। हमें पर्यावरण को बचाने के लिए कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए लोगों में पर्यावरण, प्रदुषण, जलवायु परिवर्तन, ग्रीनहाउस के प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग, ब्लैक होल इफ़ेक्ट आदि मुद्दों के बारे में ज़ागरूक करने की ज़़रूरत है।
बढ़ते क्रम में है पर्यावरण प्रदूषण
आज भारत ही नहीं, बल्कि पूरा विश्व पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है। वर्तमान समय में पानी, हवा, रेत मिट्टी आदि के साथ-साथ पेड़-पौधे, खेती और जीव-जंतु आदि सभी पर्यावरण प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। कारखाने से निकलने वाले अपशिष्टों, परमाणु संयंत्रों से बढऩे वाली रेडियोधर्मिता, मल के निकास आदि कई सारे कारणों से लगातार पर्यावरण प्रदूषित होता जा रहा है। औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण हरे-भरे खेत, भूमि का जलवायु, वन्य जीव का स्वास्थ्य, भूस्खलन आदि प्रभावित हो रहे हैं। इसी को मद्देनजर रखते हुए बड़े उद्योगों को प्रदूषण रोकने के उपाय अपनाने के लिए कहा जा रहा है, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं और आज आवश्यकता है कि ज़्यादा से ज़्यादा वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाए जायें।