Thursday, May 9, 2024
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अपनी बोलचाल में हिन्दी भाषा का ही उपयोग करें

प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया था कि हिन्दी केन्द्र सरकार की अधिकारिक भाषा होगी, क्योंकि भारत के अधिकांश क्षेत्रों में सर्वाधिक हिन्दी भाषा बोली जाती है, इसलिए हिन्दी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया गया और इसी निर्णय के महत्त्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाने लगा । स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी को अधिकारिक भाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए काका कालेलकर, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्ददास आदि साहित्यकारों को साथ लेकर व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने अथक प्रयास किये।

हिन्दी दिवस का इतिहास

वर्ष 1918 में गांधी जी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राजभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था। वर्ष 1949 में स्वतंत्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितम्बर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की अनुच्छेद 343 (1) में इस प्रकार वर्णित है। संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी।  

यह निर्णय 14 सितम्बर को लिया गया, इसी दिन हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार व्यौहार राजेन्द्र सिंह का 50वाँ जन्मदिन था, इस कारण हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था। हालांकि जब राष्ट्रभाषा के रूप में इसे चुना गया और लागू किया गया तो अ-हिन्दी भाषी राज्य के लोग इसका विरोध करने लगे और अंग्रेज़ी को भी राजभाषा का दजऱ्ा देना पड़ा। इस कारण हिन्दी में भी अंग्रेज़ी भाषा का प्रभाव पडऩे लगा। 

होते हैं कई कार्यक्रम

हिन्दी दिवस के दौरान कई कार्यक्रम होते हैं। इस दिन छात्र-छात्राओं को हिन्दी के प्रति सम्मान और दैनिक व्यवहार में हिन्दी के उपयोग करने आदि की शिक्षा दी जाती है। जिसमें हिन्दी निबन्ध लेखन, वाद-विवाद हिन्दी टंकण प्रतियोगिता आदि होता है। हिन्दी दिवस पर हिन्दी के प्रति लोगों को प्रेरित करने हेतु भाषा सम्मान की शुरुआत की गई है। यह सम्मान प्रतिवर्ष देश के ऐसे व्यक्तित्व को दिया जाएगा, जिसने जन-जन में हिन्दी भाषा के प्रयोग एवं उत्थान के लिए विशेष योगदान दिया है। इसके लिए सम्मान स्वरूप एक लाख एक हज़ार रुपये दिये जाते हैं। हिन्दी में निबन्ध लेखन प्रतियोगिता के द्वारा कई जगह पर हिन्दी भाषा के विकास और विस्तार हेतु कई सुझाव भी प्राप्त किए जाते हैं। लेकिन अगले दिन सभी हिन्दी भाषा को भूल जाते हैं। हिन्दी भाषा को कुछ और दिन याद रखें, इस कारण राष्ट्रभाषा सप्ताह का भी आयोजन होता है। जिससे यह कम से कम वर्ष में एक सप्ताह के लिए तो रहती ही है। 

इसका मुख्य उद्देश्य

इसका मुख्य उद्देश्य वर्ष में एक दिन इस बात से लोगों के समक्ष रखना है कि जब तक वे हिन्दी का उपयोग पूर्ण रूप से नहीं करेंगे तब तक हिन्दी भाषा का विकास नहीं हो सकता है। इस एक दिन सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेज़ी के स्थान पर हिन्दी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त जो वर्ष भर हिन्दी में अच्छे विकास कार्य करता है और अपने कार्य में हिन्दी का अच्छी तरह से उपयोग करता है, उसे पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया जाता है। 

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