Saturday, September 21, 2024
Homeधर्म अध्यात्मभगवान् गणेशजी के जन्म की कहानी

भगवान् गणेशजी के जन्म की कहानी

देवी पार्वती ने एक बार शिवजी के गण नन्दी के द्वारा उनकी आज्ञा पालन में त्रुटि के कारण अपने शरीर के उबटन से एक बालक का निर्माण करके उसमें प्राण डाल दिए और कहा कि ‘तुम मेरे पुत्र हो। तुम मेरी ही आज्ञा का पालन करना और किसी की नहीं। मैं स्नान के लिए जा रही हूं। ध्यान रहे, कोई भी अंदर न आने पाए।’ थोड़ी देर बाद वहां भगवान् शंकर आए और देवी पार्वती के भवन में जाने लगे। यह देखकर उस बालक ने विनयपूर्वक उन्हें रोकने का प्रयास किया। बालक का हठ देखकर भगवान् शंकर क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर काट दिया। देवी पार्वती ने जब यह देखा तो वे बहुत क्रोधित हो गईं। जब उनकी क्रोध की अग्नि से सृष्टि में हाहाकार मच गया, तब सभी देवताओं ने मिलकर उनकी स्तुति की और बालक को पुनर्जीवित करने के लिए कहा।

तत्पश्चात् भगवान् शंकर के कहने पर विष्णुजी एक हाथी का सिर काटकर लाए और वह सिर उन्होंने उस बालक के धड़ पर रखकर उसे जीवित कर दिया और देवताओं ने गणेश, गणपति, विनायक, विघ्नहरता आदि कई नामों से उस बालक की स्तुति की। इस प्रकार भगवान् गणेश जी का प्राकट्य हुआ।

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

आगामी कार्यक्रमspot_img

Popular News