Wednesday, May 8, 2024
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साहसी बालक- प्रेरणास्पद कहानी

एक समय की बात है, हॉलैण्ड देश में एक लड़का रहता था, जिसका नाम था हेन्स और उसकी उम्र उस समय आठ साल की थी। इस बात की जानकारी लगभग सभी को है कि हॉलैण्ड देश समुद्र के किनारे पर स्थित है और उसकी ज़मीन का बहुत बड़ा भाग समुन्द्र तल से नीचे है। समुद्र के किनारे पर स्थित स्थानों को सुरक्षित रखने के लिए हॉलैण्ड के निवासियों ने बड़ी-बड़ी पत्थरों की दीवारें बनवाई थीं, जिन्हें डायक कहा जाता है।

इन दीवारों की डच लोग सुरक्षा करते रहते हैं, क्योंकि इनमें एक भी छोटा सा छेद खतरनाक स्थिति उत्पन्न कर सकता है। यह छेद धीरे-धीरे काफी बड़ा भी हो सकता है और फिर उसके बाद समुद्र का पानी पूरे गांव या नगर को बाढ़ की चपेट में लेकर भारी नुकसान पहुंचा सकता है।

इसी प्रकार के एक गांव में हेन्स रहता था, जो समुद्र तल से नीचे था और जिसके पास बड़ी-बड़ी डायक बनी हुई थीं। एक रोज शाम के वक्त हेन्स अपने दोस्त को साथ लेकर खेलने के लिए निकला था। खेलते-खेलते शाम हो गई, अपने दोस्त से विदा लेकर वह घर की ओर लौटने लगा। उसका घर वहां से काफी दूर पड़ता था। वह गुनगुनाता हुआ घर की तरफ जा रहा था कि उसने देखा, पानी की पतली सी धार बह रही है। जब वह उस पानी के साथ-साथ आगे बढ़ा, तो उसने देखा कि डायक के एक छोटे से छेद से पानी निकल रहा है। यह देखकर हेन्स को बड़ी चिन्ता हो गई। हेन्स जानता था कि समुद्र के पानी के दबाव से वह छेद और भी बड़ी हो जाएगा। हेन्स सोचने लगा कि अब क्या किया जाए? उसने सोचा कि मैं खुद इस छेद को बंद कर सकता हूं और वह डायक के साथ झुककर बैठ गया तथा अपनी अंगुली उस छेद में डाल दी। इस तरह पानी रिसना बन्द हो गया। सूरज छिप चुका था, ठण्डी हवा चलने लगी थी और आसमान में काले बादल छाये हुए थे। हेन्स को अब ठंड लग रही थी। वह सोच रहा था कि काश कोई सहायता के लिए इधर आ जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। डायक के साथ वाली सड़क एकदम सुनसान पड़ी हुई थी। धीरे-धीरे रात का अंधेरा गहरा हो रहा था और कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। हेन्स ठंड के मारे ठिठुर रहा था, लेकिन वह वहां से हिला तक नही और न ही उसने अपनी उंगली डायक के छेद से बाहर निकाली।

 दूसरी ओर हेन्स के दोस्त और उसके पिताजी उसको तलाश रहे थे और जोर-जोर से आवाज देकर पूछ रहे थे कि ‘हेन्स तुम कहां पर हो?’ उसने चिल्लाकर कहा, ‘मैं यहां हूं’।  वे लोग उसे बड़ी-बड़ी लालटेन लेकर डायक के किनारे ढूंढ़ रहे थे। आवाज़ सुनकर वे अपनी लालटेन को जरा पास लाकर देखते हैं तो वह हेन्स ही था। वह ठंड के कारण ठिठुर रहा था, लेकिन उसने डायक के छेद से अपनी उंगली को बाहर न निकाला था।

प्रसन्नतापूर्वक चिल्लाते हुए उन्होंने हेन्स को उठाया, तब उन्हें वह छेद दिखाई दिया, जिसमें हेन्स ने अपनी उंगली डाल रखी थी, तो उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। फौरन ही कुछ लोग उसे ठीक करने में लग गए। दूसरे लोगों ने हेन्स को कम्बल में लिपटा लिया और घर उठाकर ले गये। हेन्स को देखकर उसकी मां बहुत खुश हुई और जब उसे अपने बेटे की इस हिम्मत के विषय में पता चला तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। आज भी हेन्स को हॉलैण्ड के लोग अपनी कहानियों में जिन्दा रखते हैं और उसकी वीरता की कहानी सुनाते हैं ।

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