Monday, May 20, 2024
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सूर्य का अध्ययन करने हेतु हेलो ऑर्बिट में पहुँचा आदित्य एल 1

नई दिल्ली। आदित्य एल 1 की सफलता के बाद भारत ने स्पेस सेक्टर में एक और मील का पत्थर छू लिया है। शनिवार (06 जनवरी) की शाम करीब चार बजे आदित्य एल 1 को एल 1 पॉइंट की हेलो ऑर्बिट में पहुंचा दिया गया है। सूर्य के अतीत, वर्तमान और भविष्य का पता लगाने के लिए भारत के पहला सौर मिशन ‘आदित्यÓ में सात पेलोड लगे हैं।  

अतिमहत्त्वपूर्ण है सूर्य का अध्ययन

सूर्य परमाणु संलयन के माध्यम से ऊर्जा उत्पन्न करता है। सूर्य के फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल) का तापमान 6,000 डिग्री सेल्सियस है। सूर्य की यह परत प्रकाश उत्सर्जित करती है, जो जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण है। सूर्य की सबसे बाहरी परत कोरोना का तापमान कई लाख डिग्री सेल्सियस है।

यह पराबैंगनी और एक्स-रे विकिरण भी उत्सर्जित करती है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिए घातक है। यह रहस्य है कि कोरोना सूर्य की आंतरिक परतों की तुलना में बहुत अधिक गर्म कैसे है? इसके साथ ही आदित्य-एल1 के पेलोड सूर्य के कई रहस्यों को सुलझाने का प्रयास करेंगे।

इसके अलावा सूर्य पर विस्फोटों की निगरानी और सौर हवा का भी अध्ययन करने के लिए सौर वातावरण और कोरोना की लगातार निगरानी करने की ज़रूरत है। इस कार्य को जितना संभव हो सके सूर्य के करीब से पूरा किया जाना चाहिए। इससे सौर विस्फोटों की पूर्व चेतावनी देने और उनके कारण होने वाले व्यवधान को कम करने के लिए कदम उठाने में भी मदद मिलेगी।

सौर कंपन का अध्ययन के लिए  

जिस तरह पृथ्वी पर भूकंप आते हैं, उसी तरह सौर भूकंप भी होते हैं, जिन्हें कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है। सौर कंपन का अध्ययन करने के लिए सूर्य की निगरानी ज़रूरी है, क्योंकि जो पृथ्वी के भू-चुंबकीय क्षेत्रों को बदल सकती है। कभी-कभी, ये उपग्रहों को नुकसान पहुंचाते हैं। कोरोनल मास इजेक्शन के कारण उपग्रहों के सभी इलेक्ट्रानिक्स खराब हो सकते हैं।

 एल1 में हंै सात पेलोड

विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी), सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआइटी), आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट(एएसपीईएक्स), प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फार आदित्य (पापा), सोलर लो एनर्जी एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (एसओएलईएक्सएस), हाई एनर्जी एल1 आर्बिटिंग एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (हेल1ओएस), एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नोमीटर्स।

क्या करेंगे ये पेलोट

आदित्य-एल1 राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी वाला पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास है। बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एस्ट्रोफिजिक्स (आइआइए) ने विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) पेलोड को बनाया है। यह सीएमई की गतिशीलता का अध्ययन करेगा। यह ग्राउंड स्टेशन पर पांच साल तक प्रति दिन 1,440 तस्वीरें भेजेगा। पहली तस्वीर $फरवरी के अंत तक मिलेगी।

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