Thursday, May 9, 2024
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भक्ति है तो सबकुछ है, भक्ति नहीं तो कुछ भी नहीं ऋषिवर श्री शक्तिपुत्र जी महाराज

दिनांक 29 मार्च 2023, आज चैत्र नवरात्र पर्व की अतिमहत्त्वपूर्ण तिथि अष्टमी है। वैसे तो नवरात्र के दिन ही नहीं, बल्कि सभी दिन एक समान होते हैं और हम जिस दिन से अच्छाईयों की ओर बढऩे का संकल्प ले लेते हैं, वहीं दिन जीवन में महत्त्वपूर्ण होजाता है। तो आइए, इस अतिमहत्त्वपूर्ण तिथि पर साधनापथ पर बढऩे के लिए संकल्प लें। जब आप साधनापथ को अंगीकार करने हेतु कृतसंकल्पित हो जायेंगे, तो यह कलिकाल भी आपको सतयुग के सदृश्य प्रतीत होने लगेगा।

साधनापथ पर आगे बढऩे के लिए सबसे पहले आपको शांति की अतल गहराईयों में डूबना पड़ेगा। शांति की अतल गहराईयों में पहुंचने का सहज-सरल मंत्र बताते हुये ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज शक्तिपुत्र जी महाराज कहते हैं कि ”ध्यानावस्थित मुद्रा में ‘माँ’ का स्मरण करते ही मन में सन्तुलन सहज रूप में स्थापित होजाता है। यदि अपने जीवन को सन्तुलित करना है, तो साधना के पथ पर चलना ही पड़ेगा। यदि आप सुख-शान्ति पाना चाहते हैं, तो एकमात्र मार्ग है माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की भक्ति।

भक्ति कैसी हो? भक्ति का स्वरूप क्या होना चाहिये? भक्ति दो प्रकार से की जाती है- सकाम भक्ति और निष्काम भक्ति। सकाम भक्ति से कुछ समय के लिये राहत मिल सकती है, लेकिन निष्काम भक्ति दीर्घकालिक ही नहीं, बल्कि इसकी लौ जन्म-जन्मांतर तक प्रज्ज्वलित होती रहती है। नवरात्र पर्व के ये दिन जीवन की दिशा को बदलने के दिन हैं, साधनापथ को अंगीकार करने के दिन हैं।

जब तक भक्ति की गहराई को बढ़ाओगे नहीं, तब तक जीवन के क्रियाकलापों में उथलापन बना रहेगा। केवल पूजा-पाठ, कीर्तन-भजन कर लेना भक्ति नहीं है। भक्ति है जीवन में ऐसा परिवर्तन जो कि निश्छल हो। आज एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है, जिसकी भक्ति भावना निष्काम हो। यदि निष्काम भाव से भक्ति करोगे, तो जीवन में आने वाली कठिनाईयां स्वमेव दूर होती चली जायेंगी। यदि जीवन में भक्ति है, तो सबकुछ है और यदि भक्ति नहीं है, तो कुछ भी नहीं है।

प्रस्तुति:- अलोपी शुक्ला (संकल्प शक्ति)।

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