सत्य की स्थापना सहज नहीं है। किसी काल-परिस्थितियों में शक्तिपीठों की स्थापना होती है। हम उस शक्तिपीठ की स्थापना कर रहे हैं, हम एक ऐसा स्थान दे रहे हैं, जो युगों-युगों तक अपनी ऊर्जा से समाज को दिशा देता रहेगा। शरीर की सीमाएं होती हैं, स्थान की सीमाएं असीमित हैं और जब तक यह भूतल है, जब तक यह धरती है, तब तक यदि हम आप चाहेंगे, यदि सत्य की उस ऊर्जा को सही तरीके से, व्यवस्थित रूप से दिशा देते चले जायेंंगे, तो यहाँ का कण-कण समाज को चेतना प्रदान करता रहेगा। आप उस स्थल से जुड़े हैं, जिस स्थान से जनकल्याण के लिए ‘माँ’ का गुणगान अनन्तकाल के लिए चल रहा है। इस भूतल का यह एकमात्र ऐसा स्थान है। इसलिए शांतचित्त होकरके, बैठ करके इसपर विचार किया करो। ‘माँ की आराधना, गुरु की आराधना करने के साथ-साथ आत्मचिन्तन भी करना नितांत आवश्यक है। आपके गुरु ने अपनी पूरी ज्ञानक्षमता के माध्यम से ‘माँ’ का आशीर्वाद लेकरके उस पथ का चयन किया है, जिस पथ के अलावा इस काल में और कोई दूसरा पथ हो ही नहीं सकता, जिसके माध्यम से समाज का परिवर्तन किया जा सके, लोगों के अन्दर इन्सानियत को जगाया जा सके, भाईचारे का भाव समाज में पैदा किया जा सके। हम विश्व के कल्याण की बात करते हैं, मगर हमेशा एकपक्षीय भावना बना करके बैठ जाते हैं। आवश्यकता है सत्य को सत्य कहने की क्षमता पैदा करो और असत्य का विरोध करने के लिए अपने आत्मबल को बढ़ाओ। शुभसंकल्पधारी शक्तिसाधक बनो। हरपल अपने अन्दर शुभसंकल्प को धारण करना सीखो और अशुभ धारणाओं से हर पल अपने आपको दूर रखो।
Jai mata ki Jai Guruwar ki 🙏🙏🙏
पंचज्योती शक्तितिर्थ सिद्धाश्रम धाम की जय