Thursday, May 9, 2024
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सनातन को कोई मिटा सके, यह किसी के वश की बात नहीं

संकल्प शक्ति। ऋषियों-मुनियों की तपस्थली प्रयागराज में दिनांक 25-26 फरवरी 2023 को आयोजित शक्ति चेतना जनजागरण शिविर ‘महाशक्ति शंखनाद’ में प्रयागराज की सम्पूर्ण धरती ‘माँमय हो उठी थी। माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा और ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के प्रति भक्तों की श्रद्धा का प्रवाह, परेड ग्राउण्ड, संगम, प्रयागराज के विशाल क्षेत्र में उमड़ पड़ा था। अपार जनसमुदाय, लाखों की संख्या में पुरुष, महिलाएं, बालक, बालिकाएं और सद्गुुरुदेव जी महाराज के शिष्य, ‘माँ के भक्त, यहाँ तक कि हज़ारों छोटे-छोटे बच्चों के हाथों में भी शंख व शक्तिदण्डध्वज इस तरह शोभायमान थे, जैसे कि पतित पावनी पुण्य सलिला गंगा में रह-रहकरके हिलोरें उठ रहीं हों। बड़ा ही मनभावन दृश्य था।

जिन ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के नाम, रूप व गुण का निरन्तर स्मरण करने से मन के विकार दूर होते चले जाते हैं और हृदय में पवित्रता का वास होजाता है, ऐसे महान युगद्रष्टा के सान्निध्य में शिविर के दोनों दिवस लाखों-लाख लोगों ने महाशक्ति शंखनाद करके और नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान् जीवन जीने, धर्मरक्षा, राष्ट्ररक्षा और मानवता की सेवा करने का संकल्प लेकर स्वयं में माता जगदम्बे की दिव्यचेतना के संचारित होने का आभाष किया, जिससे सभी का रोम-रोम पुलकित हो उठा था।

आदर्श चरित्र ही जीवन की सफलता का मूलमंत्र है और जिसका चरित्र गिरा हुआ है, वह सम्मान का पात्र कभी हो ही नहीं सकता। अत: ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने प्रयागराज, उत्तरप्रदेश में आयोजित महाशक्ति शंखनाद शिविर के दोनों दिवस उपस्थित लाखों-लाख धर्मप्रेमी जनता और शिष्यों-भक्तों को चरित्रवान् जीवन जीने की शिक्षा देने के साथ तीन मानवीय कत्र्तव्यों- मानवता की सेवा, धर्मरक्षा और राष्ट्ररक्षा करने का बोध कराया।

मानवता की सेवा, धर्मरक्षा और राष्ट्ररक्षा क्या हैं? आपके हृदय में सबके हित का भाव हो, धर्मरक्षा का भाव हो, राष्ट्ररक्षा का भाव हो और जिनके मन में ये भाव बसते हैं, उनके लिए जग में कुछ भी दुर्लभ नहीं है। जहाँ ये भाव बसते हैं, वे भाव स्वत: ही क्रियारूप में परिणत होने लगते हैं। इस परिपे्रक्ष्य में गुरुवरश्री ने अपने शिष्यों से कहा है कि ”भोजन करते समय तुम मुझे भोग लगाओ या न लगाओ, परमसत्ता को भोग लगाओ या न लगाओ, लेकिन उन $गरीबों को अवश्य याद करो, जिन्हें भूखे पेट सोना पड़ता है और जब $गरीबों के प्रति ये भाव तुम्हारे हृदय में बने रहेंगे, तो तुम उनकी सहायता अवश्य करोगे। इसी तरह अपने सनातनधर्म की रक्षा और राष्ट्ररक्षा का भाव आपके हृदय में बना रहना चाहिए।

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ऋषिवर ने अपने चिन्तनों में कहा कि ”मेरे सनातनधर्म में, मेरे हिन्दुत्व में सभी धर्म समाहित हैं। हमारा धर्म, हमारी जाति अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन हमारी आत्मा की जननी एक ही हैं और वे हैं माता आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा। हमारा सनातनधर्म, अलौकिक ऊर्जा से भरपूर है और उसकी तुलना अन्य धर्मों से की ही नहीं जा सकती। आज उसी सनातनधर्म की दिशा को कुछ स्वार्थीतत्त्वों के द्वारा भटकाव के रास्ते पर मोड़ा जा रहा है। 

आज के तथाकथित धर्माचार्यों में तपबल है ही नहीं और यदि है, तो मेरी साधनात्मक चुनौती को स्वीकार करें, जिससे ढोंग-पाखंड की दुकानें बन्द हो सकें। ऐसे पाखंडियों को, जो धर्म के नाम पर लूट-खसोट में लगे हुए हैं, उन्हें $कानून के दायरे में लाना चाहिए। जाति के आधार पर एक बड़े वर्ग में जो हीनभावना पैदा की गई, उससे सनातनधर्म को भारी क्षति पहुँची है और धर्माचार्य केवल अपना सम्मान भोगते रहे। जो मेहनती, परिश्रमी वर्ग है, उन्हें दु:ख यही रहा कि उनको दीन-हीन समझा जाता है। यदि सनातनधर्म की रक्षा करनी है, तो सभी जाति के लोगों को गले लगाना होगा। 

 आज अनेक स्थानों पर, धर्मपीठों पर पर्चा बनाने और तन्त्र-मंत्र, भूत-प्रेत, झाड़-फूँक के नाम पर, तथाकथित पीठाधीश्वरों के द्वारा लोगों को प्रभावित करने के साथ उनके अन्दर भय पैदा किया जा रहा है। पण्डोखर के गुरुशरण शर्मा, धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री और प्रेमासांई जैसे लोगों ने सनातनधर्म को बदनाम करके रख दिया है।

आज भी मुझमें वही शक्ति है

 मैं प्रयागराज की धरती पर कहता हूँ कि जिस तरह मैंने आठ महाशक्तियज्ञों की ऊर्जा के माध्यम से असम्भव से असम्भव कार्यों को करके यज्ञों की शक्ति का अहसास समाज को कराया है, आज भी मुझमें वही शक्ति है, लेकिन चमत्कार के लिए मैं अपनी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करता। हाँ, एक बार चारों शंकराचार्य एक धर्मसम्मेलन आहूत करें, जिसमें धर्मप्रमुख, वैज्ञानिक, पत्रकार व बुद्धिजीवियों, सभी को बुलाया जाए और जो कहा जायेगा, वह मैं करके दिखाऊँगा।

 गरीबों की परिस्थिति पर चिन्तन करो

भिखारीपन से ऊपर उठो, तुम स्वयं में समर्थ हो। मेहनती बनो, परिश्रमी बनो। कोई भी परिश्रमी व्यक्ति भूखों नहीं मर सकता। $गरीबों की स्थिति-परिस्थिति पर चिन्तन करो। जब उनके प्रति चिन्तन करने लगोगे, तो जिनसे तुम दूर भागते हो, वही अच्छे लगने लगेंगे और उनकी सहायता करने की इच्छा अवश्य जाग्रत् होगी।  

धिक्कार है ऐसी राजसत्ताओं को

राजसत्ताएं शराब के ठेके चलवा रहीं हैं, जिसके चलते युवा, बच्चे अपराधी बनते चले जा रहे हैं। जो राजनेता अपने ही लोगों को शराब पिलाए, वह कतई सम्मान के योग्य नहीं हो सकता। केवल देश को नशामुक्त कर दो, तो हमारा सनातनधर्म पुन: अपनी ऊँचाईयों को प्राप्त कर लेगा। छोटे लाभ के लिए शराब का धंधा करो, धिक्कार है! हमने भारतीय शक्ति चेतना पार्टी का गठन, चुनाव जीतने और सत्ताप्राप्ति के लिए नहीं किया। इसका गठन इसलिए किया गया है, ताकि देश में व्याप्त अनीति-अन्याय-अधर्म के विरुद्ध आवाज़ को मुखर किया जा सके। 

हर व्यक्ति योगी नहीं बन सकता

 धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जैसे लोग योगी नहीं बन सकते, क्योंकि योगी ट्रिकबाजी नहीं करते, पर्चा बनाकर, झाड़-फूंक के नाम पर आडम्बर नहीं फैलाते। यह अच्छी बात है कि अध्यात्म क्षेत्र में युवा बढ़कर आगे आएं, समाज को कथायें सुनाएं, लेकिन छल-प्रपंच फैलाकर समाज को ठगा जाए, समाज को दिशाभ्रमित किया जाए, यह अच्छी बात नहीं है।

 सनातन को क्षति पहुँचा रहे हैं अनेक पाखंडी 

 कई वर्ष पहले सेे हर मंच के माध्यम से मेरे द्वारा ढोंगी, पाखंडी धर्माचार्यों की पोल खोली जा रही है। आशाराम और रामरहीम के बारे में कहा गया था कि एक न एक दिन ये जेल की सलाखों के पीछे होंगे और वही हुआ। रामपाल जैसे लोग सनातन के दुश्मन हैं। वह सनातन को नष्ट करने में तुला हुआ था! उसके विरुद्ध आवाज़ उठाई गई और वह भी जेल की सलाखों के पीछे है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस के विरुद्ध बयानबाजी की है, उसकी जो दशा होगी समाज देखेगा।  

पण्डोखर धाम चले जाइए, जहाँ गुरुशरण जैसे पाखण्डी बैठे हुए हैं, जिनका आपसे रिश्ता केवल पैसों का है और ऐसे लोगों को पैसा देकर ढोंग-पाखण्ड को बढ़ावा न दें।  

अपनी शक्ति को पहचानो

युवाओं का आवाहन है कि आओ, अपनी शक्ति को पहचानो, नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान् जीवन अपनाओ तथा धर्मरक्षा, राष्ट्ररक्षा और मानवता की सेवा के लिए आगे बढ़ो। आओ इस अभियान से, सत्य की यात्रा से जुड़ो, तुम्हारा सनातनधर्म, तुम्हारे भारत का सनातनधर्म तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है।

मनभावन ही नहीं, हृदयस्पर्शी भी था यात्रा का दृश्य

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धर्म-अध्यात्म की नगरी प्रयागराज में दिनांक 25-26 फरवरी 2023 को सम्पन्न हुए द्वितीय चरण के नशामुक्ति महाशंखनाद शिविर के परिप्रेक्ष्य में दिनांक 24 $फरवरी को धर्मधुरी पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम से निकली नशामुक्ति शक्ति चेतना जनजागरण सद्भावना यात्रा की अलौकिकता और सद्गरुदेव के दर्शनों को लालायित शिष्यों-भक्तों के हृदयस्पर्शी भावों का वर्णन करना सहज नहीं है। 

सिद्धाश्रम से प्रयागराज तक,  सच्चिदानंदस्वरूप सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज की यात्रा की अगवानी के लिए ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में स्थान-स्थान पर शिष्यों-भक्तों के द्वारा स्वागतद्वार सजाये गये थे। राह पर आकर्षक रंगोली के साथ ही रंग-बिरंगे पुष्पों की पंखुडिय़ाँ बिखरी हुईं थीं। पुष्पों की पंखुडिय़ों से बनी रंगोली, स्वागतद्वार के दोनों ओर आरती की थाल सजाये व ‘माँÓ-गुरुवर के जयकारे लगाते खड़े शिष्यों-भक्तों और करबद्ध खड़े बच्चों के चेहरों में अपार श्रद्धाभाव झलक रहा  था। महिलाओं और बच्चियों के हाथों में दीप प्रज्ज्वलित कलश सुशोभित हो रहे थे। अनेक क्षेत्रों में तो बैण्डबाजे और शहनाई की धुन ने शमाँ बाँध दिया था।

अपने आराध्य के दर्शन पाकर भी मानों शिष्य व भक्तगण तृप्त नहीं हो पा रहे थे और उनकी प्यास बढ़ती ही जा रही थी, तथापि एक बार और दर्शन की अभिलाषा में वे दौड़ पड़ते तथा परम पूज्य गुरुवरश्री का वाहन आगे बढ़ते ही क्षेत्रीय शिष्यों की आँखों से बरबस ही प्रेमाश्रु छलक पड़ते। प्रयागराज में तो लाखों की संख्या में शिष्यों-भक्तों का समूह उमड़ पड़ा  था। नए यमुनापुल से गुरुआवास-यात्रिक हॉटल तक दसियों किलोमीटर, गुरुवरश्री के वाहन की गति के साथ लोग पैदल चलते रहे। परम पूज्य गुरुवरश्री ने भी सभी को मुक्तभाव से आशीर्वाद प्रदान किया।                

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