Monday, April 29, 2024
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भीम को कैसे मिला 10 हज़ार हाथियों का बल?

पाण्डु पुत्र भीम के बारे में माना जाता है कि उसके अन्दर दस हज़ार हाथियों का बल समाहित था, जिसके चलते एक बार तो उसने अकेले ही नर्मदा नदी के प्रवाह को रोक दिया था। लेकिन, भीम को इतना बल कैसे मिला? इसकी कहानी अत्यन्त ही रोचक है।

कौरवों का जन्म हस्तिनापुर में हुआ था, जबकि पांडवों का जन्म वन में हुआ था। पांडवों के जन्म के कुछ वर्ष पश्चात् पाण्डु का निधन हो गया। पाण्डु की मृत्यु के बाद वन में रहने वाले साधुओं ने विचार किया कि पाण्डु के पुत्रों और उनकी माता को हस्तिनापुर भेज देना ही उचित है। इस प्रकार ऋषिगण हस्तिनापुर आए और उन्होंने पाण्डु पुत्रों के जन्म और पाण्डु की मृत्यु के संबंध में पूरी बात भीष्म, धृतराष्ट्र आदि को बताई। भीष्म को जब यह बात पता चली, तो उन्होंने कुंती सहित पांचो पांण्डवों को हस्तिनापुर बुला लिया।

हस्तिनापुर में आने के बाद पाण्डवों के वैदिक संस्कार सम्पन्न हुए। पाण्डव तथा कौरव साथ ही खेलने लगे। दौडऩे में, निशाना लगाने तथा कुश्ती आदि सभी खेलों में भीम धृतराष्ट्र पुत्रों को हरा देते थे। भीमसेन कौरवों से होड़ के कारण ही ऐसा करते थे, लेकिन उनके मन में कोई वैर-भाव नहीं था। परंतु दुर्योधन के मन में भीम के प्रति दुर्भावना पैदा हो गई, तब उसने उचित अवसर मिलते ही भीम को मारने का विचार किया।

दुर्योधन ने एक बार खेलने के लिए गंगा तट पर शिविर लगवाया और उस स्थान का नाम रखा उदकक्रीडन। वहां खाने-पीने व अन्य सभी सुविधाएं भी थीं। दुर्योधन ने पाण्डवों को भी वहां बुलाया। एक दिन मौका पाकर दुर्योधन ने भीम के भोजन में विष मिला दिया। विष के असर से जब भीम अचेत हो गए, तो दुर्योधन ने दु:शासन के साथ मिलकर उसे गंगा में डाल दिया। भीम इसी अवस्था में नागलोक पहुंच गए। वहां सांपों ने भीम को खूब डसा, जिसके प्रभाव से विष का असर कम हो गया। जब भीम को होश आया तो वे सर्पों को मारने लगे, सभी सर्प डरकर नागराज वासुकि के पास गए और पूरी बात बताई। तब वासुकि स्वयं भीम के पास गए। उनके साथ आर्यक नाग भी था, जिसने भीम को पहचान लिया। आर्यक नाग भीम के नाना का नाना था। वह भीम से बड़े प्रेम से मिले। तब आर्यक ने वासुकि से कहा कि भीम को उन कुण्डों का रस पीने की आज्ञा दी जाए, जिनमें हज़ारों हाथियों का बल है। वासुकि ने इसकी स्वीकृति दे दी, तब भीम उन कुण्डों का रस पीकर निद्रा में लीन होगए।  

इधर भीम को विष देकर गंगा में फेंकने के बाद दुर्योधन बड़ा खुश था। शिविर के समाप्त होने पर सभी कौरव व पाण्डव भीम के बिना ही हस्तिनापुर के लिए रवाना होगए। पाण्डवों ने सोचा कि भीम आगे चले गए होंगे। जब सभी हस्तिनापुर पहुंचे, तो युधिष्ठिर ने माता कुंती से भीम के बारे में पूछा। कुंती ने भीम के न लौटने की बात कही। इसके बाद व्याकुल होकर उन्होंने विदुर को बुलाया और भीम को ढूंढऩे के लिए कहा। तब विदुर ने उन्हें सांत्वना दी और सैनिकों को भीम को ढूंढने के लिए भेजा।

उधर नागलोक में जब रस पच गया, तब भीम आठवें दिन जागे। भीम के उठने के बाद नागों ने उन्हें गंगा के बाहर छोड़ दिया। जब भीम सही-सलामत हस्तिनापुर पहुंचे, तो सभी को बड़ा संतोष हुआ। हस्तिनापुर पहुँचकर भीम ने माता कुंती व अपने भाइयों के सामने दुर्योधन द्वारा विष देकर गंगा में फेंकने तथा नागलोक में क्या-क्या हुआ, यह सब बताया। युधिष्ठिर ने भीम से यह बात किसी और को नहीं बताने के लिए कहा।

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