Tuesday, April 30, 2024
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मानवता की सेवा के लिए दिया है ‘माँ’ ने हमें यह जीवन: पूजा शुक्ला

बटियागढ़, दमोह। भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट के संयुक्त तत्त्वावधान में खेल ग्राउण्ड, ग्राम-सादपुर, तहसील- बटियागढ़, जि़ला-दमोह में दिनांक 30-31 मार्च को 24 घंटे का जि़लास्तरीय श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ सम्पन्न किया गया।

समापन बेला में संगठन की केंद्रीय अध्यक्ष सिद्धाश्रमरत्न शक्तिस्वरूपा बहन पूजा शुक्ला जी ने उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए सारगर्भित शब्दों में कहा कि ”माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा ने हमें यह जीवन मानवता की सेवा के लिए दिया है। ‘माँ’ से सभी मोक्ष की कामना करते हैं, लेकिन मोक्ष तभी प्राप्त होगा, जब मानवता की सेवा के प्रति, धर्म और राष्ट्ररक्षा के प्रति समर्पित रहोगे। परम पूज्य गुरुवरश्री ने कहा है कि ‘माँ’ हम सभी की जननी हैं, सम्पूर्ण ब्रह्मांड की जननी हैं और हम उनकी साधना-आराधना इसलिए करते हैं कि कर्मपथ पर बढ़ते रहने का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।”

शक्तिस्वरूपा बहन ने कहा कि ”आप ‘माँ’ के भक्त हो और ‘माँ’ ने आपके अन्दर अतुलित शक्ति भर रखी है, फिर भी भिखारियों के समान निरीहता का जीवन जीते हो! अकर्मण्यता से बाहर निकलो, कर्मवान बनो, जीवन संवरता चला जायेगा।”

संगठन के केंद्रीय मुख्य सचिव सिद्धाश्रमरत्न आशीष शुक्ला जी ने अपने उद्बोधन में सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज की जनकल्याणकारी विचारधारा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ”आज सादपुर ग्राम ‘माँ’मय हो उठा है। यहाँ हुए 24 घंटे के श्री दुर्गाचालीसा पाठ से इस ग्राम के वासी भी पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम धाम से जुड़ गए हैं, जहाँ 27 वर्षों से अनवरत अनंतकाल के लिए ‘माँ’ का गुणगान चल रहा है। सिद्धाश्रम में स्थित श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ मंदिर में माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा सहित 11 दिव्यशक्तियों की मूर्तियाँ विराजमान हैं, जहाँ परम पूज्य गुरुवरश्री सुबह-शाम आरती करते हैं और आगे वह क्षण भी देखने को मिलेंगे, जब सद्गुरुदेव जी महाराज संकल्पित 108 महाशक्तियज्ञों में से शेष 100 यज्ञों की शृंखला प्रारम्भ करेंगे।

सादपुर ग्राम के वासियों का आवाहन है कि एक बार सिद्धाश्रम अवश्य पहुँचें और सुबह-शाम की आरती में अवश्य शामिल हों। सभी जाति, धर्म के लोग वहाँ समभाव से साधना-आराधना करते हैं, आरती में सम्मिलित होते हैं, परम पूज्य गुरुवरश्री को प्रणाम करते हैं और एक साथ बैठकर भोजन प्रसाद ग्रहण करते हैं। सिद्धाश्रम पहुंचने वाला व्यक्ति कभी निराश नहीं लौटता, उसकी समस्याओं का निदान अवश्य होता है।”

उद्बोधन के अन्त में सिद्धाश्रम चेतना आरुणी जी की बालसुलभ वाणी से प्रेरणास्पदकविता सुनकर उपस्थित भक्तगण भावविभोर होगए।

 ”बिन बेडिय़ों के तेरे पाँव क्यों ठहरे हुए हैं, 

रात के आए बिना ही कब यहाँ सबेरे हुए हैं?

तू ही नहीं इतिहास का एकमात्र संघर्षी यहाँ, 

सैकड़ों के हौसलों से अवरोध नतमस्तक हुए हैं।

वीर बनकर वीरता से व्यग्रता को जब नशायेगा, 

तब कहीं जाकर प्रचण्ड जय प्रारम्भ हो जायेगा।।”

अन्त में सादपुर ग्राम के टीमप्रमुख बबलू भइया जी ने कार्यक्रम में उपस्थित भक्तों के प्रति आभार व्यक्त किया। पश्चात् शक्तिजल और प्रसाद का वितरण किया गया।

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